चिट्ठी मैया दे मंदिर तो आई खोल के पढ़ा लै
चिट्ठी मैया दे मंदिर तो आई खोल के पढ़ा लै भगता--२
तैनु याद करे महामाई दर्शन पा लै भगता-२
चिट्ठी मैया दे मंदिर..............
शेरांवाली केहदी मेरा खुल्ला दरबार है -२
अपने भक्तां दा मैनु इन्तजार है -२
कृष्णा मंडली दा मैनू इंतजार है-२
चिट्ठी भेज के मैं आप बुलाया मंगे फल पा लै भगता-२
चिट्ठी माता दे मंदिर........
आए नवरात्ते रूत दर्शन दी आई है -२
छेती-छेती आजा भगता देर क्यों लगाई है-२
तेरे मन दीयां आसां पुजामां भेंट चढ़ा लै भगता-२
चिट्ठी मैया दे मंदिर...............
तैनू याद करे.................
वैष्णो है नाम मेरा गांव दरबार है-२
जम्मू जिला डाकखाना कटरे विचकार है-२
भाड़ा नेक कमाई विचों कड के टिकट कटा लै भगता
चिट्ठी माता दे मंदिर तो आई खोल कै पढ़ा लै भगता
तैनू याद करे महामाई दर्शन पा लै भगता
श्रेणी : दुर्गा भजन
मातारानी भजन लिरिक्स🌹धमाकेदार भजन #navratri🌹चिट्ठी मैया दे मंदिर तो आई खोल के पढ़ा ले भगता
"चिट्ठी मैया दे मंदिर तो आई खोल के पढ़ा लै भगता" — यह भजन एक बेहद भावुक और भक्तिभाव से भरा पंजाबी दुर्गा भजन है, जो माँ वैष्णो देवी की भक्ति में लीन भक्त की भावना को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत करता है। इस गीत में भक्त और देवी माँ के बीच एक चिट्ठी के रूप में संवाद का चित्रण है, जिसमें माँ स्वयं अपने भक्त को दर्शन के लिए बुला रही हैं।
भजन की शुरुआत में जब कहा जाता है "चिट्ठी मैया दे मंदिर तो आई, खोल के पढ़ा लै भगता," तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे माँ ने स्वहस्ताक्षर से पत्र लिखकर अपने भक्त को दर्शन हेतु बुलाया हो। यह कल्पना भक्तों के मन में एक असीम भावनात्मक संबंध स्थापित कर देती है।
"शेरांवाली कहदी मेरा खुला दरबार है, अपने भक्तां दा मैनु इंतजार है," – ये पंक्तियाँ इस बात को दर्शाती हैं कि माँ का दरबार कभी बंद नहीं होता। हर भक्त, चाहे वो किसी भी परिस्थिति में हो, माँ के द्वार पर सच्चे भाव से आए तो उसे दर्शन अवश्य मिलते हैं।
"वैष्णो है नाम मेरा, गांव दरबार है, जम्मू जिला, डाकखाना कटरे विचकार है" – इस भाग में भजनकार ने माँ के वास्तविक स्थल वैष्णो देवी का पता इतने प्रेम से बताया है जैसे किसी प्रियजन का पत्र घर आ गया हो।
इस भजन में नवरात्रों का विशेष संदर्भ भी है, जहाँ भक्तों से यह कहा जा रहा है कि "आए नवरात्ते रूत, दर्शन दी आई है," – अर्थात माँ के दर्शन का विशेष समय आ गया है, अब देर मत करो।
सारांश में, यह भजन न सिर्फ भक्ति से ओतप्रोत है, बल्कि माँ-बेटे जैसे रिश्ते को एक चिट्ठी के ज़रिए और भी आत्मीय बना देता है। इसे सुनते ही मन माँ के दरबार की ओर खिंचने लगता है। इस भजन को नवरात्रों, जगरातों, या किसी भी धार्मिक अवसर पर गाना एक अत्यंत भावपूर्ण अनुभव बन जाता है।
यह सिर्फ एक भजन नहीं, माँ का बुलावा है।