कान्हा खो गया मेरा दिल तेरे वृंदावन में
कान्हा खो गया मेरा दिल तेरे वृंदावन में,
तेरे मथुरा में तेरे गोकुल में,
कान्हा खो गया मेरा दिल तेरे वृंदावन में,
तेरी बंसी की धुन जो बजती है,
सारी गोपियों को पागल करती है,
कैसी मस्ती भरी इन तानों में,
कान्हा खो गया मेरा दिल........
तेरी जमुना की निर्मल जो धारा है,
लाखों पापियों को इसने तारा है,
कैसा जादू भरा इन लहरों में,
कान्हा खो गया मेरा दिल........
तेरे मंदिरों में चैन मिलता है,
दिल का मुरझाया फूल खिलता है,
कैसा आनंद भरा तेरे दर्शन में,
कान्हा खो गया मेरा दिल......
तेरे भक्तों को बुलावा आता है,
ये मन पंछी उड़ जाता है,
कैसा आनंद भरा तेरे सत्संग में,
कान्हा खो गया मेरा दिल.....
श्रेणी : कृष्ण भजन
भजन लिरिक्स🌹कृष्ण जी का धमाकेदार भजन सुनते ही मस्त हो जाओगे🌹तेरे सत्संग में आनंद मिलता है
"कान्हा खो गया मेरा दिल तेरे वृंदावन में" एक बेहद भावनात्मक और आत्मा को छू जाने वाला श्रीकृष्ण भजन है, जो भक्त की उस अवस्था को दर्शाता है जब उसका हृदय पूर्णतः कान्हा के प्रेम में डूब जाता है। यह भजन केवल भावनाओं का संकलन नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण के दिव्य धाम वृंदावन की महिमा का सजीव चित्रण है।
भजन की हर पंक्ति जैसे किसी भक्त की अंतरात्मा की पुकार बन जाती है – "तेरे मथुरा में, तेरे गोकुल में..." – इन शब्दों से कृष्ण की हर लीला भूमि को प्रेमपूर्वक याद किया गया है। जैसे-जैसे भजन आगे बढ़ता है, यह स्पष्ट हो जाता है कि वृंदावन केवल एक स्थान नहीं, बल्कि एक अनुभूति है, जहाँ मन, आत्मा और भाव—सब श्रीकृष्ण में रम जाते हैं।
"तेरी बंसी की धुन जो बजती है, सारी गोपियों को पागल करती है," – इस पंक्ति में उस अद्भुत आकर्षण का उल्लेख है जो केवल श्रीकृष्ण की बांसुरी में ही है। वो बांसुरी की धुन, जो आत्मा को भुला देती है संसार के सारे बंधनों को। इसी तरह "तेरी जमुना की निर्मल जो धारा है," जैसी पंक्तियाँ, कान्हा के पावन वातावरण को नज़रों के सामने उतार देती हैं – जहाँ हर कण में कृष्ण बसते हैं।
भजन यह भी दर्शाता है कि कृष्ण केवल लीला पुरुषोत्तम ही नहीं, बल्कि वह शक्ति हैं जो भक्त को शांति देती है – "तेरे मंदिरों में चैन मिलता है," और "तेरे सत्संग में आनंद मिलता है," ये पंक्तियाँ बताती हैं कि कान्हा के सान्निध्य में ही आत्मा को सच्चा सुख मिलता है।
"कान्हा खो गया मेरा दिल तेरे वृंदावन में" एक ऐसा भजन है जो सुनने वाले को भाव-विभोर कर देता है और उसे एक अलौकिक यात्रा पर ले जाता है – उस वृंदावन की यात्रा, जहाँ हर सांस श्रीकृष्ण का नाम जपती है और हर भावना श्रीकृष्ण की ओर बहती है।