लंका में जइयो हनुमान ऐसे कह देना
लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना
तूने सूनी सिया चुराई है,
तोहे लाज शर्म नहीं आई है,
राजा से बना फकीर, ऐसे कह देना....
लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना....
वो राम लखन दो भाई है,
लंका पे करें चढ़ाई है,
वहाँ चलें बाण पे बाण, ऐसे कह देना....
लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना....
तेरा मेघनाथ सा बेटा है,
तेरा कुंभकरण सा भाई है,
वहाँ चलें तीर पे तीर, ऐसे कह देना....
लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना....
तेरी सूर्पन्खा सी बहना है,
तपसी से नैन लड़ाए है,
लक्ष्मण ने काटी नाक, ऐसे कह देना....
लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना....
तेरे एक सौ आठ रानी है,
मंदोदरी उनमें पटरानी है,
तूने हाथों से मौत बुलाई है,
तेरो जइयो सत्यानाश, ऐसे कह देना....
लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना....
श्रेणी : हनुमान भजन
मंगलवार स्पेशल हनुमान जी का प्यारा भजन "लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना" #superhitbhajan #hanuman
"लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना" एक जोशीला, प्रेरणादायक और हनुमान जी के अद्भुत साहस को दर्शाने वाला भजन है। यह रचना लंकिनी, रावण और लंका के समस्त अहंकार को ललकारने वाली शैली में लिखी गई है, जिसमें श्रीराम के दूत हनुमान जी रावण को उसका सच सुनाने के लिए लंका की ओर प्रस्थान करते हैं।
भजन की शैली संवादात्मक है, और हर पंक्ति में साहस, सत्य और धर्म की गूंज स्पष्ट सुनाई देती है। इसमें बताया गया है कि कैसे रावण ने सिया माता का हरण कर अधर्म का रास्ता अपनाया, और कैसे अब राम के दूत हनुमान जी उसे चेतावनी देने जा रहे हैं।
प्रत्येक अंतरा रावण के एक पाप या अहंकार को उजागर करता है—कभी उसकी बहन शूर्पणखा का प्रसंग आता है, तो कभी उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुंभकरण का ज़िक्र होता है। अंत में हनुमान जी का यह स्पष्ट संदेश है कि जिसने धर्म के विरुद्ध जाकर अधर्म को अपनाया, उसके विनाश का समय निकट है।
इस भजन की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी ऊर्जा और ओजपूर्ण भाषा। हनुमान जी को यहाँ केवल एक दूत नहीं, बल्कि धर्म के रक्षक, न्याय के वाहक और अहंकार के संहारक रूप में चित्रित किया गया है।
"लंका में जईयो हनुमान, ऐसे कह देना" केवल एक भजन नहीं, बल्कि रावण जैसे अन्याय के प्रतीकों को ललकारने वाला संदेश है। यह हर उस भक्त के लिए प्रेरणा है जो सत्य के साथ खड़ा है और अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की हिम्मत रखता है।
भजनकार ने इस रचना को एक नाटकीय प्रभाव और ऐतिहासिक संदर्भों के साथ इस तरह प्रस्तुत किया है कि यह सुनने वाले को रामायण के युद्धकाल में खींच ले जाता है। यह वास्तव में मंगलवार और हनुमान जी के उपासकों के लिए एक विशेष भजन है।