दुनिया चले ना श्री राम के बिना
दुनिया चले ना श्री राम के बिना,
राम जी चले ना हनुमान के बिना,
जब से रामायण पढ़ ली है, एक बात मैंने समझ ली है,
रावण मरे ना श्री राम के बिना, लंका जले ना हनुमान के बिना ॥
लक्मण का बचना मुश्किल था, कौन बूटी लाने के काबिल था,
लक्मण बचे ना श्री राम के बिना, बूटी मिले ना हनुमान के बिना ॥
सीता हरण की कहानी सुनो, बनवारी मेरी जुबानी सुनो,
वापिस मिले ना श्री राम के बिना, पता चले ना हनुमान के बिना ॥
बैठे सिंघासन पे श्री राम जी, चरणों में बैठे हैं हनुमान जी,
मुक्ति मिले ना श्री राम के बिना, भक्ति मिले ना हनुमान के बिना ॥
श्रेणी : हनुमान भजन
दुनिया चले न श्री राम के बिना | Duniya Chale Na Shri Ram Ke Bina | Balaji Bhajan | Hanuman Bhajan
यह भजन "दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना" अत्यंत भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से गूढ़ रचना है, जो श्री राम और हनुमान जी के आपसी संबंध और भक्तों के जीवन में उनके महत्व को सुंदरता से प्रस्तुत करती है।
भजन की हर पंक्ति यह संदेश देती है कि जैसे शरीर आत्मा के बिना अधूरा है, वैसे ही यह संसार श्री राम के बिना अपूर्ण है, और श्री राम की लीला हनुमान जी के बिना अधूरी है। भजनकार ने रामायण के महत्वपूर्ण प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया है कि चाहे रावण का वध हो, लंका दहन हो, या लक्ष्मण जी का जीवन संकट में हो—हर स्थान पर श्री राम और हनुमान जी की साझी भूमिका रही है।
यह भजन न केवल श्रद्धा से भरपूर है, बल्कि यह भी सिखाता है कि जीवन में धर्म और सेवा का कितना महत्व है। श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, तो हनुमान जी उनके सबसे बड़े सेवक और भक्त। दोनों की कृपा के बिना न तो मुक्ति संभव है, न ही भक्ति की पूर्णता।
भजन का सबसे सुंदर चित्रण उस अंतिम पंक्ति में आता है, जहाँ बताया गया है कि श्री राम जी सिंहासन पर विराजमान हैं और उनके चरणों में हनुमान जी बैठे हैं—यह दृश्य भक्तों को श्रद्धा और विनम्रता का आदर्श प्रदान करता है।
"दुनिया चले न श्री राम के बिना" केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्त को श्री राम और हनुमान जी के चरणों में समर्पण की ओर ले जाता है।