नैया है मझधार में मैया अब तो पार लगा जाओ, naiya hai majdhar mein maiya ab to paar laga jao

नैया है मझधार में मैया अब तो पार लगा जाओ



तर्ज - देना हो तो दीजिए जनम जनम का साथ

सकराय वाली बैठी है दरबार लगा के आज,
तू ही बानती बिगड़ी सवारे सबके काज,

नैया है मझधार में मैया अब तो पार लगा जाओ,
पड़े तेरी शरण में मैया सर पे हाथ फिरा जाओ,
अब तेरे भरोसे पड़ी है इन भगतो की मां लाज,

सकराय वाली बैठी है दरबार लगा के आज...

उच्च भवन में बैठ के मैया दुनिया सारी चलाती है,
आज कोई कष्ट भगत पर माँ दौड़ी - दौड़ी आती है,
तेरी शक्ति जानता मैया पूरा ये समाज,

सकराय वाली बैठी है दरबार लगा के आज....

निर्धन को धन दिया है पुत्र यिन को पुत्र दिया,
हारा जब भक्त मां तेरा उसको तूने विजय किया,
अब लकी की झोली भर दे लगाई है आवाज,

सकराय वाली बैठी है दरबार लगा के आज....

Lyr ics - lucky Shukla



श्रेणी : दुर्गा भजन
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"नैया है मझधार में मैया अब तो पार लगा जाओ" एक अत्यंत भावनात्मक और भक्तिभाव से भरा हुआ दुर्गा भजन है, जो सकराय वाली माँ की महिमा का सुंदर और प्रभावशाली चित्रण करता है। यह भजन "देना हो तो दीजिए जनम जनम का साथ" की तर्ज पर रचा गया है, जिससे इसकी भाव-प्रवाहित लय सीधे भक्तों के हृदय तक पहुँचती है।

भजन की शुरुआत में माँ सकराय वाली को दरबार में विराजमान दिखाया गया है, जो अपने भक्तों के संकट हरने और बिगड़े कार्य सँवारने के लिए जानी जाती हैं। जब जीवन की नैया मझधार में फँसी हो और कोई सहारा न हो, तब माँ की शरण ही वह एकमात्र ठिकाना बन जाती है, जहाँ से पार लगने की आस होती है।

भजन आगे बताता है कि माँ चाहे ऊँचे भवन में विराजें, परंतु उनका ध्यान हर उस भक्त पर रहता है, जो प्रेम और आस्था के साथ उन्हें पुकारता है। माँ के चमत्कारों को समाज जानता है—निर्धनों को धन, निसंतानों को संतान, और हार चुके भक्तों को विजय प्रदान करना उनके लिए सहज है।

यह रचना माँ के प्रति श्रद्धा, भरोसे और पूर्ण समर्पण को दर्शाती है। "अब लकी की झोली भर दे लगाई है आवाज" जैसी पंक्ति यह दर्शाती है कि यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक भक्त की गहराई से निकली पुकार है।

"सकराय वाली बैठी है दरबार लगा के आज" — यह पंक्ति पूरे भजन की आत्मा है, जो हर पाठक या श्रोता को यह एहसास कराती है कि माँ आज भी अपने दरबार में बैठी सबके दुख-सुख का लेखा-जोखा रखती हैं।

यह भजन भक्तों को माँ की शरण में विश्वास रखने की प्रेरणा देता है और उन्हें यह यकीन दिलाता है कि जब माँ का हाथ सिर पर हो, तो कोई भी मझधार नाव डूब नहीं सकती।

Harshit Jain

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