आजा अब तो लाज बचाने
हम तो आये, तेरे द्वारे, दुख-दर्दो के मारे,
आजा अब तो, लाज बचाने, ओ हारे के सहारे,
पैदल चलकर, रिंगस से मैं, तेरा निशान उठाऊं,
चढ़कर तेरह पेड़ी बाबा, तेरा दर्शन पाऊं,
लेने आजा, तोरण द्वार पे, तेरा यें दास पुकारे,
आजा अब तो लाज बचाने....
मैं श्याम कुंड में, नहा के बाबा, तेरे दर पे आऊं,
केसर- इत्र- गुलाब ले के, तुझको भेंट चढ़ाऊं,
भोग लगाऊं, तुझको बाबा, छप्पन भोग तू खा ले,
आजा अब तो लाज बचाने....
हारे का तू, साथी कहाए, बाबा लखदातारी,
एक बांण से, खेल दिखाये, जाने दुनियाँ सारी,
तीनो लोक में, डंका बजता, ऐसे श्याम हमारे,
आजा अब तो लाज बचाने....
तू झोली सबकी, भरता बाबा, दर जो तेरे आये,
इच्छा सबकी, पूरी होती, ध्यान जो तेरा लगाएं,
मोहित गोयल के, तूने बाबा, बिगड़े काम सवारें,
आजा अब तो लाज बचाने....
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Aaja Laaj Bachane | आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे | Khatu Shyam Latest Bhajan | Mohit Goyal
भजन “आजा अब तो लाज बचाने ओ हारे के सहारे” एक अत्यंत भावुक और श्रद्धा से भरपूर रचना है, जिसे मोहित गोयल जी ने अपनी भावभीनी प्रस्तुति से अमर बना दिया है। यह भजन खाटू श्याम बाबा के उस रूप की महिमा का गुणगान करता है, जिसमें वे हारे के सहारे कहलाते हैं — यानी जो भी निराश, पीड़ित और आश्रयविहीन होकर उनके द्वार आता है, वह खाली हाथ नहीं लौटता।
भजन की शुरुआत उस भाव से होती है जब एक भक्त अपने दुख-दर्दों को लेकर श्याम बाबा के दरबार में पहुंचता है। रिंगस से पैदल चलकर निशान उठाना, तेरह पेड़ियों की चढ़ाई करना और श्याम कुंड में स्नान करके बाबा को भोग चढ़ाना — यह सब उस गहरी आस्था को दर्शाता है, जो भक्त के मन में बाबा के प्रति होती है।
इस भजन की पंक्तियाँ जैसे “हारे का तू साथी कहाए, बाबा लखदातारी” और “तीनो लोक में डंका बजता, ऐसे श्याम हमारे” श्याम बाबा की विराट महिमा का परिचय कराती हैं। वहीं दूसरी ओर, “मोहित गोयल के तूने बाबा, बिगड़े काम सवारे” जैसी पंक्तियाँ यह दर्शाती हैं कि यह भजन केवल भावनाओं से नहीं, बल्कि अनुभवों से उपजा है।
यह रचना केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक पुकार है, एक याचना है उस शक्ति से, जो भक्तों की लाज बचाने के लिए सदैव तत्पर रहती है। इसे सुनते ही मन एक अलग ऊर्जा से भर जाता है और श्याम बाबा के चरणों में समर्पण की भावना गहराने लगती है।
यह भजन न केवल खाटू श्याम के दरबार की महिमा का परिचायक है, बल्कि उन लाखों-करोड़ों भक्तों की आवाज़ भी है, जो हर हाल में बाबा पर अटूट विश्वास रखते हैं। “आजा अब तो लाज बचाने” वास्तव में हर श्याम भक्त की आत्मा की पुकार बन चुका है।