दूरो मैं चलके आया तेरे दरबार मां, dauro mai chalke aaya tere darwar maa

दूरो मैं चलके आया तेरे दरबार मां



मैं चलके आया तेरे दरबार मां, सोहना दरबार मां,
दास खड़ा तेरे दर्शन को मां-2
उच्चेया पहाड़ा वाली मां मेरी शेरा वाली-2
तेरा दरवार मां सोहना दरबार मां, मां दास खड़ा ते दर्शन को-2

दूर दूर से मां भगत तेरे द्वारे आते है-2
तेरे द्वारे आते है प्रेमसे दर्शन पाते है-2
भगतो के लिए मईया-2 तेरा दरवार मां सेना दरबार मां
दास खड़ा तेरे दर्शन को मां......
दूरो मैं चलके आया....
दास खड़ा तेरे दर्शन को मां......

ध्यानु जैसे मां भगत तूने लाखो तारे है-2
मधुकैटभ जैसे राक्षस मईया तूने मारे है-2
ऊंचे पर्वत पे मईया-2 तेरा दरवार मां सोहना दरबार मां
दास खड़ा तेरे दर्शन को मां.......
दूरो मैं चलके......
दास खड़ा तेरे दर्शन को मां......

अकबर हंकारी मां तुझे अजमाने आया था-2
तेरी ज्योत बुझाने को लोहे का तबा चढ़या था-2
तबा फाड़ निकली ज्वाला-2 हुई जय जयकार मां
दास खड़ा तेरे दर्शन को मां.......
दूरे मैं चलके आया.....

दास खड़ा तेरे दर्शन को, मां दास खड़ा तेरे देशन को



श्रेणी : दुर्गा भजन



🙏दूरो मैं चलके आया, तेरे दरबार मां🙏 जय मां इस सुन्दर भजन को जरूर सुने🌺

यह भजन "दूरो मैं चलके आया तेरे दरबार मां" माँ दुर्गा के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है। यह एक भक्त की उस भावनात्मक यात्रा को व्यक्त करता है, जिसमें वह माँ के दरबार में दूर-दूर से चलकर आता है—केवल एक झलक पाने और माँ के दर्शन करने के लिए। यह भजन दर्शाता है कि माँ का दरबार कितना सुंदर, पावन और भक्तों के लिए आश्रय देने वाला है।

भजन की हर पंक्ति में माँ की महिमा गाई गई है—माँ शेरोंवाली, ऊँचे पर्वत पर विराजमान, जिनका दरबार असीम शक्ति और करुणा का प्रतीक है। इसमें बताया गया है कि माँ के द्वार पर हर कोई, चाहे वह किसी भी स्थान से आए, माँ की कृपा पाकर धन्य हो जाता है। ध्यानु भगत जैसे भक्तों को माँ ने तारणहार बनकर बचाया और राक्षसों का विनाश किया—यह माँ की रक्षा करने वाली रूप को उजागर करता है।

भजन का वह अंश जहाँ अकबर द्वारा माँ को आज़माने की घटना का उल्लेख है, बेहद प्रभावशाली है। यह बताता है कि माँ की ज्योति को कोई बुझा नहीं सकता—वह तपते तवे से भी ज्वाला बनकर प्रकट होती हैं, और हर अन्याय का विनाश करती हैं।

"दास खड़ा तेरे दर्शन को मां"—यह पंक्ति भजन की आत्मा है, जो एक साधारण भक्त के भीतर छिपे उस गहरे समर्पण और श्रद्धा को व्यक्त करती है।

यह भजन न सिर्फ भावपूर्ण है, बल्कि भक्तों के मन में माँ के प्रति अटूट विश्वास और प्रेम जगाता है। इसे अवश्य सुनना चाहिए और माँ के चरणों में समर्पित हो जाना चाहिए।

Harshit Jain

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