करता हूँ एक विनती, तुमसे ओ मेरे श्याम
करता हूँ एक विनती,
तुमसे ओ मेरे श्याम |
दरबार ये ना छूटे,
संकट हो या आराम ||
जब क्रोध में आऊँ तो,
तुम शीतलता देना |
जब हो जाऊँ मैं कठोर,
थोड़ी कोमलता देना |
न आए अहम कभी,
प्रभु रखना थोड़ा ध्यान |
सेवा ये ना छूटे,
चाहे दुख हो या आराम ||
जब पड़ जाऊँ कमजोर,
प्रभु हाथ पकड़ लेना |
अंधियारा हो घनघोर,
बाँहों में जकड़ लेना |
ना चाहूँ अधिक लेकिन,
दे पाऊँ दिन को दान |
विश्वास ये ना टूटे,
संकट हो या आराम ||
व्याकुल हो जाऊँ तो,
तुम धीर बँधा देना |
सत्पथ से भटक जाऊँ तो,
तुम राह दिखा देना ||
मन में ना आए बैर,
हाथों से अच्छे का |
रिश्ता ये ना टूटे,
संकट हो या आराम ||
जब अंतकाल आए,
थोड़ी दया दिखा देना |
‘गोविंद’ कहे मोहन-सी,
एक झलक दिखा देना |
क्षण भर भी दर्शन पाकर,
हो जाएगा कल्याण |
दरबार ये ना छूटे,
संकट हो या आराम ||
करता हूँ एक विनती,
तुमसे ओ मेरे श्याम |
दरबार ये ना छूटे,
संकट हो या आराम ||
लिरिक्स् : गोविंद दमानी
श्रेणी : खाटू श्याम भजन
Karta hu ek vinti || Jai Shree Shyam || Shyam baba bhajan || Lyrics:- Govind Damani (Kolkata) ||
"करता हूँ एक विनती, तुमसे ओ मेरे श्याम" एक अत्यंत मार्मिक और आत्मा को स्पर्श करने वाला खाटू श्याम भजन है, जिसे गोविंद दमानी (कोलकाता) द्वारा लिखा गया है। यह भजन केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक सच्चे भक्त के अंतर्मन से निकली प्रार्थना है, जिसमें श्याम बाबा के प्रति गहन श्रद्धा, समर्पण और प्रेम झलकता है।
भजन की हर पंक्ति एक ऐसी स्थिति को दर्शाती है जहाँ एक भक्त, श्याम से केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, विवेक, सहनशीलता, और सही मार्ग पर चलने की शक्ति माँगता है। जब क्रोध आए, तो शीतलता; कठोरता आए, तो कोमलता; और जब जीवन में अंधकार छा जाए, तो प्रभु की बाहों में सिमटने की भावना — यह सब दर्शाता है कि यह भजन कितनी गहराई से आध्यात्मिक है।
"सेवा ये ना छूटे" — यह पंक्ति इस भजन का मूल है, जहाँ भक्त यह नहीं चाहता कि सुख या दुःख की स्थिति में प्रभु से दूरी हो, बल्कि वह हर परिस्थिति में प्रभु की शरण में बना रहना चाहता है। अंतकाल की इच्छा भी कितनी सुंदर है — "एक झलक दिखा देना" — यह बताता है कि मोक्ष की चाहत भी केवल श्याम के दर्शनों से जुड़ी है, किसी दिखावे से नहीं।
यह भजन उन सभी श्याम भक्तों के लिए प्रेरणा है, जो जीवन की कठिनाइयों में भी प्रभु से जुड़ाव बनाए रखना चाहते हैं। गोविंद दमानी की लेखनी में जो सादगी और संवेदना है, वह इस भजन को अत्यंत प्रभावशाली बना देती है।
"करता हूँ एक विनती" वास्तव में एक ऐसी आत्मिक पुकार है जो हर श्याम प्रेमी के हृदय को छू जाती है और श्याम दरबार से अनवरत जुड़ाव बनाए रखने की प्रेरणा देती है।