हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई - hari ju taro naam param sukhdai

हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई



हरि नाम बड़ो सब साधंन ते,हरि नाम बिना बेदार सी है,
कलीकोट कुचाल कटावंन को,हरि नाम करोत की धार सी है,

हरि नाम सों पाहन सिंधू तरे,तोहे लागत बात गवारं सी है,
सुख देख पुराण नाम प्रताप,कवंन कु कहां आवसी है,

हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई,प्रभु जू तेरो नाम परम सुखदाई,
मैंने नाम की रटंन लगाई,प्रभु जू तेरो नाम की रटंन लगाई,

हरि जू तेरो नाम नाम की रटंन लगाई,
हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई,प्रभु जू तेरो नाम परम सुखदाई
हरि....,

1. और कछु जो ना बनें,एक नाम एक टेर,
बिहारी बिहारिन दास रट,साधंन सधे अनेक,
श्री हरिदास नाम सुखदाई,हमारो श्री हरिदास नाम सुखदाई,
प्रभु जू तेरो नाम परम सुखदाई,
हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई,
मैंने नाम की रटंन लगाई,
प्रभु जू तेरो नाम परम सुखदाई,
हरि....

2. नाम नाम बिन ना रहे,सुनों सयानें लोग,
मीरा सुत जनयों नहीं,शिष्य ना मुड़ो कोई,
नाम बाई वो मीरा भई,गिरधर नाम,
भाई वो मीरा बाई,
हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई,प्रभु जू,
तेरो नाम परम सुखदाई,
हरि....

3. लाख़ बार हरि हर कहो,एक बार हरिदास,
अति प्रसंन श्री लाडली,दे हैं विपिन को वास,
हमारो श्री हरिदास नाम सुखदाई,प्रभु,
जू तेरो नाम परम सुखदाई,
हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई,
मैंने नाम की रटंन लगाई प्रभु जू तेरो नाम
परम सुखदाई,
हरि....

बाबा धसका पागल पानीपत
संपर्कसुत्र-7206526000



श्रेणी : कृष्ण भजन

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यह भजन "हरि जू तेरो नाम परम सुखदाई" एक अत्यंत मधुर और आध्यात्मिक रचना है, जो बाबा धसका पागल (पानीपत) जी द्वारा प्रस्तुत की गई है। यह भजन हरि नाम की महिमा और उसके प्रभाव को अत्यंत सरल शब्दों में, लेकिन गहन भावनाओं के साथ व्यक्त करता है। इसमें बताया गया है कि हरि नाम ही सभी साधनों में श्रेष्ठ है और इसके बिना जीवन अधूरा-सा लगता है। चाहे कोई भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, हरि नाम उसे सहज बना देता है। इस रचना में कवि ने हरि नाम को एक ऐसी शक्ति के रूप में दर्शाया है, जो पत्थर जैसे कठोर मन को भी पवित्र बना सकता है और सागर को पार कराने में समर्थ है।

भजन की भाषा में भावनाओं की गहराई साफ झलकती है—“मैंने नाम की रटन लगाई” जैसी पंक्तियाँ साधक की भक्ति और समर्पण को दर्शाती हैं। इसमें श्री हरिदास जी की महिमा भी वर्णित है, जिनके नाम से लाडली राधा रानी भी प्रसन्न हो जाती हैं। मीरा बाई जैसे भक्तों का उदाहरण देकर यह बताया गया है कि नाम सुमिरन के बिना कोई सच्चा भक्त नहीं बन सकता।

यह भजन न केवल गाने योग्य है बल्कि आत्मा को स्पर्श करने वाला है। इसमें एक भक्त की पुकार, श्रद्धा, और हरि नाम के प्रति अगाध प्रेम समाहित है। बाबा धसका पागल जी ने इसे जिस भक्ति और भाव के साथ प्रस्तुत किया है, वह सुनने वालों को भाव-विभोर कर देता है। यह भजन कृष्ण भक्तों के लिए एक अमूल्य रचना है, जो उनके मन में हरि नाम के प्रति और भी अधिक प्रेम और विश्वास उत्पन्न करता है।

Harshit Jain

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