होली खेल रहे भोलेनाथ देखो
होली खेल रहे भोलेनाथ देखो गौरा के पीहर मे,
गौरा की बहन नीराली वो वैष्णो जम्मू वाली,
करती रंगो की बरसात देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...
गौरा की बहन नीराली वो काली कलकत्ते वाली,
वो भींग रही खूद साथ देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...
गौरा की बहन नीराली वो ज्वाला हिमाचल वाली,
भोले हंस के करते बात देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...
गौरा की बहन नीराली वो सीता जनकपुर वाली,
होली खेले सारी रात देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...
गौरा की बहन नीराली हाजी हरिद्वार वाली,
खेले पकड़ पकड़ के हाथ देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...
गौरा की बहन नीराली वो नैनिताल वाली,
भर रही रंगो की परात देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...,
गौरा की बहन नीराली वो विंध्याचल वाली,
बोली तू डाल मै पात देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...
गौरा की बहन नीराली वो तूलसी जी मतवाली,
जैसे लहरे हवा के साथ देखो गौरा के पीहर मे,
होली खेले भोलेनाथ...
श्रेणी : शिव भजन
होली भजन ~ होली खेल रहे भोलेनाथ देखो गौरा के पीहर मे....../ shiv charcha/ Bhakti Bhajan Mithas #Holi
होली का त्यौहार केवल रंगों और आनंद का पर्व नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का उत्सव भी है। जब स्वयं भोलेनाथ अपनी गौरा के पीहर में आकर होली खेलते हैं, तो वह दृश्य अनुपम और दिव्य हो जाता है। "होली खेल रहे भोलेनाथ देखो गौरा के पीहर में" भजन इस अलौकिक प्रसंग का मनोहारी वर्णन करता है, जहां शिवजी अपनी अर्धांगिनी माता पार्वती के मायके में रंगों की बौछार कर रहे हैं।
भजन में गौरा की बहनों का उल्लेख अत्यंत रोचक और भक्तिमय है। हर पंक्ति में एक नई बहन का नाम आता है—कोई वैष्णो देवी हैं, कोई काली, कोई ज्वाला देवी तो कोई सीता माता। ये सब मिलकर शिवजी के साथ होली के रंगों में डूबी हुई हैं, जिससे यह भजन एक आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव कराता है।
भोलेनाथ के सहज, सरल और प्रेममय स्वभाव को दर्शाता यह भजन भक्तों के मन में आनंद और शिव-भक्ति की भावना जागृत करता है। होली के अवसर पर इस भजन को गाने और सुनने से ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं शिव-पार्वती और समस्त देवी-देवता इस पावन पर्व में सम्मिलित होकर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान कर रहे हों।