करुणामई श्यामा बाट निहारती
करुणामई श्यामा बाट निहारती।
करुणामई श्यामा बाट निहारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।
बीते ना उमर यूंही झूठी जग आस में।
दौड़ चले हम कुंवरी राधिका के पास में।
जन्मों की बिगड़ी पल मे भानुजा संवारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।
अंश है सभी हम यूं तो नंदजू के लाल के।
विमुख हुए ज्यों सखी पड़े मुख काल के।
जीवन मरण से केवल कुंवरी उबारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।
अधमों को तारे अलग ही रीति से।
मिलन कराती अपने सांवरे से मीत से।
महल के द्वारे पतितों को सत्कारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।
होगे निराश जब तुम जग की नातेदारि से।
प्रीत मिलेगी सांची बरसानेवारी से।
माधुरी रंगीली पे निज प्राणन वारती।
कुंजन में दीनन को लाडली पुकारती।
करुणामई श्यामा।
श्रेणी : कृष्ण भजन

यह भजन "करुणामई श्यामा बाट निहारती" एक अत्यंत भावपूर्ण और हृदय को छू लेने वाला कृष्ण भक्ति गीत है, जिसमें राधा रानी की करुणा, ममता और उनकी दिव्य कृपा का अनमोल चित्रण किया गया है। यह भजन हमें बताता है कि राधा रानी केवल प्रेम की देवी ही नहीं, बल्कि वे दुखियों की पुकार सुनने वाली, भटके हुए जीवों को राह दिखाने वाली, और अधमों को भी अपनी कृपा से उबारने वाली हैं।
भजन की प्रत्येक पंक्ति में बरसानेवाली राधा की करुणा झलकती है – जो कुंजों में दीनों को पुकारती हैं, बाट जोहती हैं और जन्म-जन्म की बिगड़ी संवारने को तत्पर रहती हैं। यह रचना सजीव करती है उस अलौकिक प्रेम को, जो संसारिक मोह-माया से परे है। जब संसार के सारे संबंध व्यर्थ प्रतीत होते हैं, तब राधा रानी का प्रेम ही एकमात्र सत्य बनकर सामने आता है।
भजन में यह भी बताया गया है कि राधा रानी महल के द्वार पर भी पतितों को आदर देती हैं, और उन्हें अपने सांवरे कृष्ण से मिलन का सौभाग्य प्रदान करती हैं। यह भजन उन लोगों के लिए विशेष संदेश लेकर आता है जो जीवन में निराश हो चुके हैं – कि बरसानेवाली श्यामा रानी की शरण में आकर हर दुख दूर किया जा सकता है।
इस भजन की लेखनी, भाव, और भक्ति की गहराई इसे न केवल सुनने योग्य, बल्कि आत्मा को छूने वाला बनाती है। "करुणामई श्यामा" न केवल भजन का शीर्षक है, बल्कि एक ऐसी माँ की पुकार है जो अपने बच्चों की राह तक रही है – बस हमें उनके प्रेम की ओर एक कदम बढ़ाने की जरूरत है।