हरदम याद किया कर हरि को
हरदम याद किया कर हरि को,
दर्द निदान हरेगा,
मेरा कहा नहीं खाली ऐ दिल,आंनद कंद ढरेगा
हरदम याद किया कर हरि को,दर्द निदान हरेगा
हरदम याद किया कर हरि को...
ऐसा नाहीं जहाँ बिच कोई,लंगर लौर लरेगा
हरदम याद किया कर हरि को,दर्द निदान हरेगा
हरदम याद किया कर हरि को...
सहचरी चरण शैर दा बच्चा,क्या गजराज करेगा
हरदम याद किया कर हरि को,दर्द निदान हरेगा
हरदम याद किया कर हरि को...
रचनाकार - बाबा रसका पागल (वृन्दावन)
श्रेणी : कृष्ण भजन

यह भजन "हरदम याद किया कर हरि को" एक बेहद सरल और मार्मिक भक्ति गीत है, जिसमें भगवान हरि (कृष्ण) की निरंतर स्मृति और उनके ध्यान में लीन रहने की महत्ता बताई गई है। इस भजन के माध्यम से रचनाकार बाबा रसका पागल (वृन्दावन) ने यह संदेश दिया है कि जब हम हरदम भगवान को याद करते हैं, तो हमारे सारे दुख और कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। भजन में यह भावना है कि हरि की भक्ति से मन में आनंद और शांति का संचार होता है, और जीवन की समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं।
भजन की भाषा बहुत ही सरल और सहज है, जिससे यह आम जन के दिल तक आसानी से पहुँचता है। इसमें बताया गया है कि दुनिया में चाहे कैसी भी परेशानियाँ आएं, हरि का स्मरण हमारे लिए सबसे बड़ा सहारा होता है। रचनाकार ने यह भी दर्शाया है कि हरि की सेवा में समर्पित होना ही वास्तविक सुख और समाधान का मार्ग है। बाबा रसका पागल जी वृन्दावन के एक प्रसिद्ध संत और कवि थे, जिन्होंने भक्ति और कृष्ण प्रेम को अपनी रचनाओं में बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है।
यह भजन कृष्ण भजन श्रेणी में आता है और भक्तों को ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा बनाए रखने और हर परिस्थिति में भगवान को याद करने की प्रेरणा देता है। इसकी भावपूर्ण पंक्तियाँ भक्तों के हृदय में भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण की अग्नि को प्रज्वलित करती हैं। कुल मिलाकर, यह भजन सरल भाषा में गहरे आध्यात्मिक सत्य को दर्शाता है, जो हर भक्त के लिए जीवन की कठिनाइयों से पार पाने का सशक्त साधन है।