श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया, Shyam Najar Aaya Mhane Shyam

श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया



नीर भरण मैं जाय रही बैठो कदम्ब की छोर,
देख देख मुस्काये रयो वो छलिया माखन चोर,
श्यामा.........स्याम

वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में ग्वाला एक मन भाया सखी.....
श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया,

टेढ़ी झांकी टेढ़ी चितवन,
रूप सलोनो ऐसो मोह लियो मन,
एक टक आँखें उसको निहारें,
जादू ऐसो कर गयो मोहन,
मुरली ऐसी मधुर बजावे,
ऐसा मन को लुभाया सखी.....
श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया,

मोर मुकुट सुन्दर आभूषण,
लट घुंघराली नीला बर्तन,
टेढ़ी मेढ़ी चाल मनमोहन,
न्योछावर कर दयूं तन मन धन,
गोपिन के संग रास रचावे,
सुध बुध सब बिसराया सखी.....
श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया,

धन्य वृन्दावन धन्य ये कुंजन,
श्याम सुन्दर के मिल गए दर्शन,
अनूप कृपा का करू मैं वर्णन,
झुमु नाचू बन कर जोगन,
जनम जनम के कष्ट मिटाये,
चरणन दास बनाया सखी.....
श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया,
वृध्नवान की कुञ्ज गलिन में .........



श्रेणी : कृष्ण भजन



Shyam Nazar Aaya | वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में ग्वाला एक मन भाया | Aparna Mishra | New Shyam Bhajan

"श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया" एक अत्यंत भावपूर्ण और रसपूर्ण कृष्ण भजन है, जिसे Aparna Mishra की मधुर आवाज़ और सजीव अभिव्यक्ति ने और भी जीवंत बना दिया है। यह भजन भक्त की उस पहली झलक का वर्णन करता है, जब उसे श्यामसुंदर (कृष्ण) के दर्शन होते हैं और वो उस अलौकिक सौंदर्य में खो जाता है।

भजन की शुरुआत एक अत्यंत भावुक दृश्य से होती है — "नीर भरण मैं जाय रही बैठो कदम्ब की छोर...", जहां एक गोपी पानी भरने जा रही है और उसे कदंब वृक्ष के नीचे बैठा वो माखन चोर दिखाई देता है। उसकी मुस्कान, उसकी चंचलता और उसकी मोहक दृष्टि — सब कुछ गोपी के मन को बांध लेता है। यह सिर्फ एक रूप-दर्शन नहीं बल्कि आत्मा का स्पर्श है, एक ऐसा क्षण जो जीवन भर स्मरणीय बन जाता है।

भजन में श्याम की टेढ़ी चितवन, घुंघराली लटें, मोर मुकुट, नीले वस्त्र, और मधुर मुरली का बड़ा सुंदर वर्णन किया गया है। यह बताता है कि श्याम के रूप का केवल वर्णन ही नहीं किया जा सकता, उसे केवल अनुभव किया जा सकता है। हर अंतरा जैसे श्याम की छवि को और गहरा करता चला जाता है — उनके रूप, उनकी चाल, और उनके रास की लीला सब कुछ इस भजन में समाया हुआ है।

मुख्य पंक्ति — "श्याम नज़र आया म्हाने श्याम नज़र आया" — पूरे भजन की आत्मा है, जो इस दिव्य अनुभव को दोहराती है कि भक्त को श्याम के दर्शन हुए हैं, और उस एक दर्शन ने जीवन की दिशा ही बदल दी है।

अंतिम अंतरे में, रचनाकार वृन्दावन और उन कुंज गलियों की महिमा गाते हैं, जहां स्वयं श्यामसुंदर विराजते हैं। वे कहते हैं कि यह दर्शन केवल रूप नहीं, बल्कि कृपा है जो जनम-जनम के कष्टों का अंत कर देती है। यह अनुभव ऐसा है जो भक्त को स्वयं श्याम का दास बना देता है।

यह भजन केवल एक गीत नहीं, एक अनुभूति है। यह उन सभी भक्तों की भावना है जो वृन्दावन की गलियों में श्याम के दर्शन की लालसा लिए जीवन बिता देते हैं। Aparna Mishra की गायकी इस भाव को इतनी सुंदरता से प्रस्तुत करती है कि हर श्रोता को लगता है मानो वह स्वयं वृन्दावन की उसी कुंज गली में खड़ा हो और उसे भी श्याम नज़र आ गए हों।

Harshit Jain

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