दरबार लगा के बैठे बाबा देखो ना एक बार
( तर्ज: चांदी जैसा रंग है तेरा )
दरबार लगा के बैठे बाबा देखो ना एक बार,
कब से तेरी और निहारु और करूं मनुहार,
दर - दर ठोकर खाई मैंने जब तेरे दर पर आया,
सुख में साथ देता जग है दुख में है ठुकराया,
तू ही करता हरदम बाबा चिंता को बेकार,
कब से तेरी और निहारु और करूं मनुहार...
मोर छड़ी वाले तेरी मोर छड़ी लहरादे,
मुश्किल ने घेरा श्याम झाड़ा एक लगादे,
बैठे सामने मेरे बाबा फिर किसकी दरकार,
कब से तेरी और निहारु और करूं मनुहार...
तू है चाबी हम है ताले सुन लो खाटू वाले,
हार के जब भी आया लकी तू ही उसे संभाले,
कृपा होगी तेरी बाबा खाटू ले आऊं परिवार,
कब से तेरी और निहारु और करूं मनुहार...
lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : खाटू श्याम भजन

यह भजन "दरबार लगा के बैठे बाबा देखो ना एक बार" खाटू श्याम जी की भक्ति से ओतप्रोत एक अत्यंत भावुक रचना है, जिसे Lucky Shukla जी ने लिखा है। यह भजन प्रसिद्ध तर्ज "चांदी जैसा रंग है तेरा" पर आधारित है, जो श्रोताओं को सहजता से जोड़ता है। इस भजन में एक भक्त की पुकार है, जो अपने दुःख, आशा और विश्वास को शब्दों में पिरोकर श्याम बाबा के चरणों में अर्पित करता है।
भक्त कहता है कि वह कब से बाबा की ओर निहार रहा है, मनुहार कर रहा है कि बाबा बस एक बार कृपा दृष्टि कर लें। जीवन की ठोकरें खाकर जब वह खाटूधाम आता है, तो उसे सच्चा सुकून मिलता है। दुनिया सुख में साथ देती है पर दुःख में ठुकरा देती है, लेकिन बाबा श्याम सदा अपने भक्तों की चिंता हरते हैं।
भजन में “मोरछड़ी वाले” बाबा को पुकारा गया है कि जब मुश्किलों ने घेरा है, तो वो बस एक झाड़ा लगाकर सारी समस्याओं को दूर कर दें। एक पंक्ति में यह भी बहुत सुंदर रूप से भाव प्रकट किया गया है कि "तू है चाबी, हम हैं ताले", जो बाबा और भक्त के रिश्ते को अत्यंत सहजता और प्रेम से दर्शाता है।
यह भजन सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि एक गहरी भावनात्मक यात्रा है – जहाँ एक भक्त अपने ईष्ट से संवाद करता है। Lucky Shukla जी की लेखनी में सच्चे भक्त के भावों की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, और यह भजन हर उस व्यक्ति को छूता है जो जीवन की कठिनाइयों में भी श्याम बाबा की शरण में आकर सच्ची शांति पाता है।