राधा राधा राधा राधा
राधा राधा राधा राधा
तर्ज : रात श्याम मेरे सपने आयो ब्रज भूमि में पांव धरत ही, तन मन बोले-राधा राधा राधा राधा ।।
गोवर्धन गिरि, ब्रजरज, यमुना,
कण कण बोले-राधा राधा०,
पशु पक्षी तरू फूल लताएं,
कुंज कुंज बोले-राधा राधा०,
छाछ दूध दहीं माखन मटकी,
बंसी बोले-राधा राधा०,
निगमागम सुर सन्त भगत मुनि,
जन गण बोले- राधा राधा०,
मधुर मधुर रस चाख '
मधुप हरि' रसना बोले - राधा राधा०,
कवि सुप्रसिद्ध लेखक एवं संकीर्तनाचार्य - श्री केवल कृष्ण ❛मधुप❜ (मधुप हरि जी महाराज) अमृतसर (9814668946)
श्रेणी : कृष्ण भजन
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यह भजन "राधा राधा राधा राधा" भक्ति और प्रेम से परिपूर्ण एक अत्यंत मधुर कीर्तन है, जो श्रोताओं को राधारानी के दिव्य प्रेम में सराबोर कर देता है। इसकी तर्ज “रात श्याम मेरे सपने आयो” पर आधारित है, जो भक्ति रसिकों के बीच पहले से ही अत्यंत लोकप्रिय है। इस भजन में जैसे ही ब्रजभूमि में चरण पड़ते हैं, तन-मन से "राधा राधा" की ध्वनि स्वयं फूट पड़ती है। गोवर्धन गिरि, ब्रजरज, यमुना की लहरें, पशु-पक्षी, वृक्ष-लताएं, सबके सब राधा नाम का जप करते हुए दिखाई देते हैं। माखन मटकी, छाछ-दही, बंसी की स्वर लहरियां तक “राधा राधा” पुकारने लगती हैं। इस भजन की विशेषता यह है कि यह संपूर्ण ब्रज को ही जीवंत बना देता है — जहाँ हर कण-कण, हर प्राणी, हर ध्वनि में राधा नाम की गूंज सुनाई देती है।
इस भजन की रचना प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं संकीर्तनाचार्य श्री केवल कृष्ण 'मधुप' (मधुप हरि जी महाराज), अमृतसर द्वारा की गई है, जिनका लेखन सदैव हृदय को छू लेने वाला होता है। उनके शब्दों में माधुर्य, भक्ति और ब्रज की आत्मा समाहित होती है। इस भजन को सुनते ही मन सहज ही राधारानी के चरणों में स