दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे
दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे....2
रावण ने जुल्म किया सीता मां का हरण किया....2
हनुमत की पूंछ से....2
तूने लंका जलाई कैसे....2
दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे....2
कंस ने जुल्म किया देवकी को जेल किया....2
खड़े हुए पहरेदार को....2
तूने नींद में सुलाया कैसे....2
दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे....2
दुर्योधन ने जुल्म किया द्रोपदी का चीर हरा....2
पाँच गज की साड़ी का....2
तूने ढ़ेर लगाया कैसे....2
दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे....2
राणा ने जुल्म किया मीरा को ज़हर दिया....2
विष भरे प्याले को....2
तूने अमृत बनाया कैसे....2
दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे....2
श्रेणी : कृष्ण भजन
दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे || @आशा ज्योति भजन#
दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे" एक अत्यंत भावनात्मक और श्रद्धा से परिपूर्ण कृष्ण भजन है, जिसे आशा ज्योति जी की मधुर आवाज़ में प्रस्तुत किया गया है। यह भजन भगवान श्रीकृष्ण की करुणा, न्यायप्रियता और चमत्कारी लीलाओं का जीवंत वर्णन करता है, जो हर युग में, हर पीड़ित के पक्ष में खड़े हुए।
भजन की हर पंक्ति एक सवाल की तरह है — "तूने नाम धराया कैसे?" — जो भगवान की महिमा पर आश्चर्य करते हुए, उनके अनगिनत चमत्कारों को स्मरण करता है। चाहे रावण का सीता हरण हो या हनुमान के द्वारा लंका दहन, चाहे कंस की क्रूरता हो या जेल की कठोर पहरेदारी — हर घटना में प्रभु की लीला अद्भुत रही। यह भजन बताता है कि कैसे भगवान ने हर अन्याय के विरुद्ध खड़े होकर, धर्म की रक्षा की।
विशेषकर द्रौपदी चीरहरण और मीरा को विषपान का प्रसंग यह दर्शाते हैं कि भगवान नारी की अस्मिता के रक्षक हैं और सच्चे प्रेम व भक्ति का कभी अपमान नहीं होने देते। पांच गज की साड़ी को अनंत बनाना, ज़हर के प्याले को अमृत बना देना — यह सब कृष्ण की लीला की महिमा है, जो असंभव को संभव कर देती है।
इस भजन की सबसे बड़ी विशेषता इसका सरल और प्रभावशाली शब्द विन्यास है, जो हर श्रोता के दिल को छूता है। आशा ज्योति जी की आवाज़ में जो दर्द, श्रद्धा और समर्पण झलकता है, वह इस भजन को और भी गहराई देता है।
"दीनानाथ दीनबंधु तूने नाम धराया कैसे" न केवल एक प्रश्न है, बल्कि यह हर भक्त का भाव है — कि प्रभु तू इतना महान है, इतना करुणामयी है, कि तुझे केवल नाम से नहीं, तेरी लीलाओं और कृपा से पहचाना जाता है। यह भजन प्रभु के अद्वितीय चरित्र और उनके भक्तों के प्रति अटूट स्नेह की अमर अभिव्यक्ति है।