दिल जान तेरे उत्ते बार सुट्टेया हारां वालिया
धुन -- तेरियां मुहब्बतां ने मार सुट्टिया
दिल जान तेरे उत्ते वार सुट्टिया, ओ हारां वालिया।
तेरे जेहा सोहणा मैंनूं नहींओं लब्बिया, ओ हारां वालिया।
तेरियां अदावां बड़ीआं मनमोहणियां,
हर पासे गल्लां होण अज तेरियां।
चन्न तारे तेरे अगे फिक्के सोहणिया, ओ हारां वालिया।
दिल जान तेरे उत्ते वार सुट्टिया...
जादू तेरी अखियां दा ऐसा छा गया,
तेरे विचों सोहणिया मैं रब्ब पा लिया।
कर दित्ती जिंद तेरे नाम सोहणिया, ओ हारां वालिया।
दिल जान तेरे उत्ते वार सुट्टिया...
तेरियां दीवानियां दा एहीओं कहिणा ऐ,
हर वेले श्यामा तेरे कोल रहिणा ऐ।
तेरे नाल साडियां ने शान सोहणिया, ओ हारां वालिया।
दिल जान तेरे उत्ते वार सुट्टिया...
अपलोडर -- अनिलरामूर्ति, भोपाल
श्रेणी : कृष्ण भजन
❤️❤️ मैं दिल जान तेरे उत्ते बार सुट्टेया ओ हारां वालेया❤️❤️ बहुत प्यारा भजन सुनें और आंनद लें 💞💞
"दिल जान तेरे उत्ते वार सुट्टिया, ओ हारां वालिया" यह भजन प्रेम, समर्पण और भक्ति की ऐसी अनूठी मिसाल है जिसमें एक भक्त या प्रेमिका अपने आराध्य श्याम या राधे के सौंदर्य और आकर्षण में पूरी तरह डूब चुकी है। इसमें सांसारिक भावनाओं को आध्यात्मिक रंग में रंगते हुए, भजनकार अपने दिल और जान को अपने प्रिय पर न्योछावर कर देता है।
हर पंक्ति में एक अटूट प्रेम की झलक मिलती है। जब वह कहता है कि "तेरे जेहा सोहणा मैंनूं नहींओं लब्बिया," तो उसमें केवल शारीरिक सौंदर्य की नहीं, बल्कि उस दिव्य उपस्थिति की बात है जो राधा-कृष्ण में बसती है। प्रेम की ये भावना उस हद तक गहराई लिए हुए है कि वह आंखों में बसे उस "जादू" को देखकर कह उठता है — "तेरे विचों सोहणिया मैं रब्ब पा लिया।"
यह भजन हमें याद दिलाता है कि सच्चा प्रेम – चाहे वह भक्त और भगवान के बीच हो या दो आत्माओं के बीच – वह स्वयं को मिटा देने वाला, समर्पण से भरा होता है। इसमें ‘हारां वालिया’ का संबोधन राधारानी के प्रति एक श्रद्धा और सम्मान का भाव है, जो मानो अपने प्रिय के लिए जीवन की सारी बाज़ी हार चुकी हैं, फिर भी यही हार उनकी सबसे बड़ी जीत है।
संगीत की मधुर धुन, पंजाबी शब्दों की मिठास और भावों की गहराई इसे एक ऐसा भजन बना देती है, जो दिल को छू ले और आत्मा को प्रेम में डुबो दे। यह भजन केवल सुनने का नहीं, महसूस करने का है – राधा-कृष्ण के प्रेम में खो जाने का।