श्यामा मुरली नू समझा लै
श्यामा, मुरली को समझा ले,
सानूं सौण ना देन्दी ए।
कान्हा, मुरली को समझा ले,
सानूं सौण ना देन्दी ए।
सानूं सौਣ ना देन्दी ए,
सानूं बड़ा सताऊंदी ए।।
ओ श्यामा... ओए होए।। मुरली...
पाईए, चाटी विच मथाणी,
बोले, मुरली, मिठी बाणी।।
ओ विचे छड्ड मथाणी आईए,
सानूं चैन ना पैन्दी ए।।
ओ श्यामा... ओए होए।। मुरली...
होइया जदों रसोई वेला,
मुरली बोले राग नवेला।।
ओ विचे छड्ड रसोई आईए,
सानूं चैन ना पैन्दी ए।।
ओ श्यामा... ओए होए।। मुरली...
जद मैं बैठां ध्यान लगाके,
आवां पैरीं झांजर पाके।।
तेरी मुरली, मेरी झांजर,
बिना रास ना पैन्दी ए।।
ओ श्यामा... ओए होए।। मुरली...
तेरी मुरली है बड़ी सोहणी,
एहदी तान बड़ी मनमोहणी।।
जदों वजदी ए तां मेरे,
सीने खिच पैन्दी ए।।
ओ श्यामा... ओए होए।। मुरली...
तेरी मुरली बड़ी निराली,
बाहरों सोहणी ते अंदरों काली।।
जदों मिठे राग सुनावे,
नैणी नींद ना पैन्दी ए।।
ओ श्यामा... ओए होए।। मुरली...
जदों मुरली शाम वजावे,
राधा दौड़ी दौड़ी आवे।।
गोपियां दे नाल रास रचावे,
राधा मगन हो जान्दी ए।।
ओ श्यामा... ओए होए।। मुरली...
श्रेणी : कृष्ण भजन
🙏🏻🌹राधा कृष्ण भजन 💃🏻💃🏻 पंजाबी नाचने वाला भजन #bhajan #panjabi #janmashtami
यह भजन एक मनमोहक और चंचल शैली में रचा गया है, जिसमें भक्त राधा की भावनाओं को बड़े ही सुंदर और हास्यपूर्ण ढंग से व्यक्त किया गया है। इसमें राधा श्यामा से विनती कर रही हैं कि वह कान्हा की मुरली को समझाएं, क्योंकि उसकी मीठी तान उन्हें चैन से जीने नहीं देती। मुरली की मधुर ध्वनि कभी रसोई करते समय, कभी मथानी चलाते हुए, तो कभी ध्यान लगाते समय ध्यान भंग कर देती है। जैसे ही मुरली बजती है, राधा की पायलें खुद-ब-खुद छनकने लगती हैं, मानो तन-मन पर कृष्ण की मुरली का वशीकरण हो गया हो। मुरली की तान इतनी मोहक है कि वह राधा को भीतर तक खींच लेती है — बाहर से प्यारी पर भीतर से काली, जो हर पल राधा के हृदय को चुभती है, उन्हें नींद नहीं आने देती। जब शाम को मुरली गूंजती है, तो राधा दौड़ती हुई आ जाती हैं, और गोपियों संग रास रचाने में मगन हो जाती हैं। यह भजन न सिर्फ कृष्ण के प्रेम की गहराई को दर्शाता है, बल्कि मुरली की तान में छुपे उस दिव्य आकर्षण को भी उजागर करता है, जो हर प्रेमिका को प्रभु के चरणों में खींच लाता है।