दूल्हा बड़ा सोहना लगदा
दुल्हा बड़ा सोहणा लगदा, जय हो।
सोहे मोर मुकुट हाथ बंसी,
दुल्हा बड़ा सोहणा लगदा।
दुल्हन बड़ी सोहणी लगदी, जय हो।
ऊँचे महल अटारी वाली,
दुल्हन बड़ी सोहणी लगदी।
पुत्त नंद बाबे दा, जय हो।
अज बन गया भानु दा जवाई,
पुत्त नंद बाबे दा।
लाडली कीरती दी, जय हो।
बहू बन के यशोदा घर आई,
लाडली कीरती दी।
कान्हा नूं कहिण सालियां, जय हो।
सानूं छंद सुना दे जीजा कोई,
कान्हा नूं कहिण सालियां।
जोड़ी बड़ी सोहणी लगदी, जय हो।
शोभा वर्णी मधुप ना जाई,
जोड़ी बड़ी सोहणी लगदी।
जोड़ी बड़ी सोहणी लगदी।
अपलोडर – अनिलरामूर्ती भोपाल
स्वर - सर्व मोहन (टीनू सिंह)
कवि - सुप्रसिद्ध लेखक एवं संकीर्तनाचार्य श्री केवल कृष्ण ❛मधुप❜ (मधुप हरि जी महाराज) अमृतसर (9814668946)
श्रेणी : कृष्ण भजन
(Tappey) Dulha Bada Sohna Lagda |Tinu Singh | |Phagwara PB| |Radha Krishan Bhajans|
यह मधुर भजन श्रीकृष्ण विवाह की अलौकिक झांकी का मनमोहक चित्रण करता है। इसमें कान्हा को दूल्हे के रूप में और राधारानी को दुल्हन के रूप में बड़े सोहणे और मनोहर रूप में वर्णित किया गया है। मोर मुकुट और बंसी से सजे नंदलाल जब दूल्हे बनते हैं तो संपूर्ण ब्रजभूमि उत्सवमयी हो उठती है। दुल्हन राधा रानी की शोभा तो ऐसी है मानो अटारी वाले महलों की देवी स्वयं अवतरित हो गई हों। गीत में नंद बाबा के सुपुत्र श्रीकृष्ण और वृषभानु जी की सुपुत्री राधा के पावन मिलन का उत्सव गाया गया है। यह भी बताया गया है कि यशोदा मैया को बहू और ब्रज की लाडली कीर्ति की छवि रूप में राधारानी मिलीं। सालियां अपने जीजा कान्हा से छेड़छाड़ करते हुए गीत सुनाने का आग्रह करती हैं और सारा माहौल हंसी-खुशी से गूंज उठता है। अंत में यह दिव्य युगल जोड़ी इतनी सुंदर और अनुपम लगती है कि उनकी शोभा का वर्णन शब्दों से परे है। यह भजन न सिर्फ़ भक्तों को आनन्दित करता है बल्कि उन्हें श्रीराधा-कृष्ण की दिव्य लीला का साक्षात अनुभव कराता है।