मेरे सांवरे मुझको वृंदावन बुला लो
मेरे सांवरे मुझको, वृंदावन बुला लो,
वृंदावन बुला लो कान्हा, वृंदावन बुला लो,
वृंदावन बुला लो कान्हा, वृंदावन बुला लो,
मेरे सांवरे मुझको वृंदावन बुला लो,
एक बार फिर से अपने, दर्शन करा दो,
मेरे सांवरे मुझको, वृंदावन बुला लो,
यमुना की लहरे कान्हा, बंशीवट की छयया,
गोकुल का पनघट कान्हा, वृंदावन की गलियां,
मुझे उन गलियों में, फिर से बुला लो,
फिर से बुला लो कान्हा, फिर से बुला लो,
मेरे सांवरे मुझको, वृंदावन बुला लो,
बृज की वो रज कान्हा, गोकुल का माखन,
खायी जो मिट्टी कान्हा, खाया जो माखन,
मुझे उस माखन का, स्वाद चखा दो,
स्वाद चखा दो कान्हा, स्वाद चखा दो,
मेरे सांवरे मुझको वृंदावन बुला लो,
हाथो में मुरली कान्हा, पैरो में पायल,
जिस मुरली की धुन के, सब हैं कायल,
मुझे उस मुरली की,धुन तो सुना दो
धुन तो सुना दो कान्हा, धुन तो सुना दो,
मेरे सांवरे मुझको, वृंदावन बुला लो,
Lyrics & Voice - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
मेरे सांवरे मुझको वृंदावन बुला लो #shyam #bankebihari #krishnabhajan #krishna #shyambhajan2022
यह भजन प्रभु श्रीकृष्ण के प्रति भक्त की गहरी तड़प और प्रेम को दर्शाता है। इसमें भक्त अपने सांवरे श्याम से विनती करता है कि वे उसे एक बार फिर वृंदावन बुला लें। यमुना की लहरों, बंसीवट की छाया, गोकुल के पनघट और वृंदावन की गलियों का वर्णन करते हुए भक्त कहता है कि उसे उन पावन स्थलों का अनुभव दोबारा प्राप्त हो। बृज की रज, गोकुल का माखन और कान्हा के बाल्यकाल की मधुर स्मृतियों को याद करते हुए वह उस दिव्य स्वाद को चखने की लालसा व्यक्त करता है। हाथों में मुरली और पैरों में पायल धारण किए नंदलाल की छवि, और उनकी मुरली की मोहक धुन का आकर्षण भक्त को अपने दिव्य लोक की ओर खींचता है। यह भजन हृदय को स्पर्श करता है और हर श्रोता को श्रीकृष्ण के प्रेम, उनकी बाललीलाओं और वृंदावन की पवित्र भूमि की याद दिलाता है।