मेरा सावला कन्हैया मेरा प्यारा कन्हैया
( तर्ज - चलते-चलते यूं ही कोई )
रात में वो तो आया माखन मिश्री वो तो खाया,
मेरा सावला कन्हैया मेरा प्यारा कन्हैया,
छोटे है पांव उसके पायल बड़ी निराली,
हाथ है उनके छोटे मुरली बड़ी निराली,
मुस्कुराहट पे उसकी दिल मेरा आ गया है,
मेरा सावला कन्हैया मेरा प्यारा कन्हैया,
नटखट नंद का लाला बातें बड़ी बनाए,
मेरे सामने तो आए पर हाथ ना वो आए,
सूरत कितनी प्यारी मेरा मन अटक रहा है,
मेरा सावला कन्हैया मेरा प्यारा कन्हैया,
ग्वालो के साथ खेले और गैया चराए,
पूछे कुछ भी उनसे कान्हा यूं शर्माए,
सज कर मेरा कान्हा मोर पंख लगा रहा है,
मेरा सावला कन्हैया मेरा प्यारा कन्हैया,
तुझे देख मन अटका प्यारा पीला पटका,
तिलक जो लगाए नैनो से लगता झटका,
लक्की को अपना लो तेरी शरण आ रहा है,
मेरा सावला कन्हैया मेरा प्यारा कन्हैया,
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : कृष्ण भजन
रात के सन्नाटे में जब कन्हैया आते हैं तो माखन-मिश्री का स्वाद चखकर अपनी नटखट मुस्कान बिखेर देते हैं। उनके छोटे-छोटे पाँवों में बंधी पायल की झंकार और हाथों में थामी मुरली, दोनों ही अद्भुत और निराली लगती हैं। उनकी मुस्कान पर तो मन स्वयं ही मोहित हो जाता है। नंदलाल की नटखट अदाएं, उनकी बालसुलभ शरारतें और ग्वालों के साथ खेलते हुए उनका निराला रूप, सब कुछ हृदय को छू जाता है। गाय चराते हुए जब कान्हा झेंपकर उत्तर देते हैं या मोरपंख से सजे मुकुट के साथ खड़े होते हैं, तो उनका रूप बस मन को बाँध लेता है। पीले पटके में सजे उस सावले कन्हैया को देख कर भक्त का मन वहीं ठहर जाता है। माथे पर तिलक लगाए और नैनों से प्रेम की वर्षा करते हुए कान्हा जब दिखाई देते हैं, तो हृदय स्वतः ही उनकी शरण में आकर समर्पित हो जाता है। यही तो हमारे प्यारे, हमारे सावले कन्हैया हैं, जिनसे बढ़कर इस जगत में कोई अपना नहीं।