जय राधे राधे श्री राधे राधे शर्मा ब्रदर्स
जय, राधे राधे... , श्री, राधे राधे ।
जय, श्यामा श्यामा... , श्री, श्यामा श्यामा ॥
जय राधे, राधे राधे, श्री राधे, राधे राधे ।
जय श्यामा, श्यामा श्यामा, श्री श्यामा, श्यामा श्यामा ।
जय राधे, राधे राधे, श्री राधे, राधे राधे ।
जय श्यामा, श्यामा श्यामा, श्री श्यामा, श्यामा श्यामा ।
जय, राधे राधे... , श्री, राधे राधे...श्री राधे राधे...
जब से, राधा श्याम के, नैन हुए हैं चार,
श्याम, बन गई राधिका, राधा, बन गए श्याम ।
( राधा, बन गए श्याम हो... राधा, बन गए श्याम x॥ )
जय, राधे राधे... , श्री, राधे राधे...श्री राधे राधे...
मेरी, जात है क्या, औकात है क्या ।
तूँ, मालिक है, तेरी बात है क्या ।
मैं मिटटी, मिटटी दे विच, रूल जाना ।
फिर, लौट के, वापिस नहीं आना ।
तूँ ही, तूँ, तूँ ही, तूँ x॥
जय, राधे राधे... , श्री, राधे राधे...श्री राधे राधे...
हो मुझे, रास आ गया है, तेरे दर पे, सर झुकाना,
तुझे, मिल गया पुजारी, मुझे, मिल गया ठिकाना ।
( मुझे, मिल गया ठिकाना, मुझे, मिल गया ठिकाना x॥ )
जय, राधे राधे... , श्री, राधे राधे...श्री राधे राधे...
यकीन, ना हो तो, शर्मा ब्रदर्स को बाबा,
अज़मा के, देख लेना,
दिल के, टुकड़े, करवा के देख लेना,
अरे, हर टुकड़े पे, आपका नाम होगा,
चाहे, कोई भी टुकड़ा, उठा कर, देख लेना ।
( उठा कर, देख लेना, उठा कर, देख लेना x॥ )
जय, राधे राधे... , श्री, राधे राधे...श्री राधे राधे...
अपलोडर -- अनिलरामूर्तिभोपाल
श्रेणी : कृष्ण भजन
श्री राधे राधे | Shree Radhe Radhe | Sharma Brothers | Radha Rani Song 2024 | New Radha Rani Bhajan
यह भजन "जय राधे राधे श्री राधे राधे" — Sharma Brothers की मधुर आवाज़ में — एक अत्यंत भावपूर्ण और आध्यात्मिक यात्रा है, जो श्री राधा रानी के प्रेम, करुणा और अलौकिक सत्ता को समर्पित है।
भजन की शुरुआत में बार-बार "जय राधे राधे", "श्री राधे राधे", "जय श्यामा श्यामा" का उच्चारण भक्तों को राधा नाम-स्मरण में डुबो देता है। यह मंत्रात्मक दोहराव सिर्फ एक गीतात्मक लय नहीं, बल्कि राधा नाम की शक्ति का जागरण है - एक ऐसा नाम जो स्वयं श्याम को रिझा देता है।
"जब से राधा श्याम के नैन हुए हैं चार..." यह पंक्ति राधा-कृष्ण के उस दिव्य संयोग की ओर संकेत करती है, जिसमें प्रेम का ऐसा अद्वितीय रूप है जहाँ श्याम राधा में और राधा श्याम में समा जाते हैं - दोनों एक-दूसरे में लीन, अभिन्न।
भजन की अगली पंक्तियाँ आत्म-विलीनता की चरम अवस्था को दर्शाती हैं - "मेरी जात है क्या, औकात है क्या..." - यह विनम्रता राधे रानी के चरणों में समर्पण की पराकाष्ठा है। भक्त अपने अस्तित्व को मिट्टी मानकर राधा के नाम में विलीन हो जाना चाहता है।
"मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना" — इस भाव में एक आत्मिक चैन, एक शाश्वत ठिकाना मिलने की संतुष्टि है, जो केवल राधा रानी की शरण में ही संभव है।
अंत में, Sharma Brothers द्वारा रचित आत्मीयता और विश्वास से भरी यह पंक्ति - "हर टुकड़े पे आपका नाम होगा, चाहे कोई भी टुकड़ा उठा कर देख लेना..." - इस बात को दर्शाती है कि जब भक्त राधा रानी के प्रेम में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाता है, तब उसका प्रत्येक अंग, प्रत्येक भाव, केवल राधे-श्याम का स्मरण बन जाता है।
यह भजन सिर्फ एक गीत नहीं है, यह राधा रानी की भक्ति में पूर्ण आत्म-समर्पण की घोषणा है, जिसमें नाम-स्मरण, प्रेम और विश्वास - तीनों का समन्वय दिव्य भाव से लिपटा हुआ है।