मैनू वृंदावन रखलै मेरे ठाकुरा
धुन : तूतक तूतक तूतियां..
मैनू वृंदावन रखलै, मेरे ठाकुरा,
कदी मेरे वल तकलै, मेरे ठाकुरा,
तू ठाकुर हैं मालिक जग दा, तेरी बल्ले बल्ले,
मैं कुच्चजी औगनहारी, कुज नई मेरे पल्ले,
मेरे औगना नू ढकलै, मेरे ठाकुरा...
देख लइ एह दुनियादारी, मतलब दे सब बंदे,
धर्म कर्म ना पुछदा कोई, माया दे सब धंधे,
मैं निमाणी मैनू तकलै, मेरे ठकुरा...
लगन तेरी विच मगन मैं रेहंदी, प्रीत तेरे नाल लाई,
दुनिया ने ठुकराया मैनू, तू वीं ना ठुकरायीं,
मेरी लाज तू रखलै, मेरे ठाकुरा...
जिवें किवें मैनू रखलै दर ते, करां चाकरी तेरी,
मैं मेरी भुल जाए मधुप नू, करे ओह तेरी तेरी,,
मैनू चरणा च रखलै, मेरे ठकुरा...
नोट : सर्वाधिकार लेखक द्वारा सुरक्षित, भजन से किसी भी प्रकार की छेड़ छाड़ या शब्दों की अदला बदली करना सख्त वर्जित है।
श्रेणी : कृष्ण भजन
Mainu Vrindavan Rakh Lai |Tinu Singh| |Phagwara PB| |Radha Krishan Bhajans|
“मैनू वृंदावन रखलै, मेरे ठाकुरा” – यह भजन एक सच्चे भक्त की प्रार्थना है, जो अपने ठाकुर श्रीकृष्ण से विनम्रता से कहता है कि मुझे अपने पावन वृंदावन धाम में ही रख लो। इस भजन में गायक ने अपने मन की व्याकुलता और प्रेम को बड़े ही सरल, सहज और पंजाबी अंदाज़ में व्यक्त किया है।
भजन की पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि संसार स्वार्थ और माया में डूबा हुआ है, लेकिन प्रभु ही सच्चा सहारा और आधार हैं। भक्त अपनी औगुनहारी (कमियाँ) स्वीकार करता है और ठाकुर से विनती करता है कि जैसे भी हो, उसे अपने चरणों में स्थान दे दें।
यह भजन हमें सिखाता है कि दुनिया चाहे ठुकरा दे, पर प्रभु अपने भक्तों को कभी नहीं ठुकराते। वृंदावन में रहकर ठाकुर के चरणों की सेवा ही सच्चा सौभाग्य है।