तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है
तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय,
तुम्हीं को अपनी करुण कहानी सुना रही है तुम्हारी गाय,
वो गाय तुमने जिसे चराया चरा के गोपाल नाम पाया,
क्यूँ आज असहाय हो के आँसू बहा रही है तुम्हारी गाय,
तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय.....
कहाँ वो मुरली की मीठी तानें कहाँ वो बृजवन सघन सुहाने, गए जमाने की याद तुम को दिला रही है तुम्हारी गाय,
तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय......
उठालो अब हाथ में दुधारा दिखा दो वो कल्कि रूप प्यारा,
तुम्हारे दर्शन की आस तुम से लगा रही है तुम्हारी गाय,
तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय......
श्रेणी : कृष्ण भजन
तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय/ सुंदर कृष्ण जी के भजन #beautifulbhajan
“तुम्हें कन्हैया हलधर के भैया बुला रही है तुम्हारी गाय” – यह भजन भक्त और भगवान के बीच के उस दिव्य संबंध को व्यक्त करता है, जिसमें गाय को श्रीकृष्ण की सच्ची सखी, संगी और प्राण समझा गया है।
भजन की पंक्तियाँ हमें याद दिलाती हैं कि वही गाय, जिसे श्रीकृष्ण ने बृजभूमि की हरी-भरी वादियों में चराया और जिनके कारण उन्हें ‘गोपाल’ का नाम मिला, आज व्याकुल होकर उन्हें पुकार रही है। उसकी आँखों से बहते आँसू, उसकी करुण पुकार और उसके मन की वेदना सीधे हृदय को छू जाती है।
यह भजन न केवल कृष्ण की गोधन-प्रेम लीलाओं की झलक कराता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि गोवंश हमारे लिए पूज्य और सम्माननीय है। जब-जब बृजधाम में श्याम मुरली बजाते थे, तब-तब गायें उस स्वर में खोकर सुख और शांति पाती थीं। आज वही गाय अपने कृष्ण से फिर मिलन की चाह रखती है।