वृंदावन जाने को जी चाहता है
वृंदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
वृंदावन में यमुना महारानी,
गोता लगाने को जी चाहता है,
वृंदावन जाने को जी चाहता है,
वृंदावन में तुलसी महारानी,
भोग लगाने को जी चाहता है,
वृंदावन जाने को जी चाहता है,
श्रेणी : कृष्ण भजन
वृंदावन जाने को जी चाहता है🥰🥰🙏🙏एक बार अवश्य सुनें
यह भजन एक भक्त की उस गहरी और सच्ची तड़प को व्यक्त करता है, जो उसे श्रीकृष्ण के परम धाम वृंदावन की ओर खींचती है। हर पंक्ति में वह भाव उमड़ता है कि संसार के सारे सुख-साधनों से बढ़कर, अब मन को बस वृंदावन की गलियों में भटकना ही भाता है।
"वृंदावन जाने को जी चाहता है, राधे-राधे गाने को जी चाहता है" — यह केवल यात्रा की इच्छा नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है। वह पुकार जो प्रेम, भक्ति और शरणागति से उपजी है। वृंदावन जहां हर कण-कण में राधा-कृष्ण की लीलाएं बसी हैं, वहां जाकर बार-बार राधे-राधे कहना ही जीवन का सबसे बड़ा सुख बन जाता है।
भजन में यमुना महारानी की बात होती है — वह दिव्य नदी, जिसने श्रीकृष्ण के चरणों को छुआ, जिसमें स्नान करना मोक्ष के समान है। वहीं तुलसी महारानी का स्मरण है — जिन्हें श्रीहरि सबसे प्रिय मानते हैं, जिन पर भोग अर्पित करना स्वयं कृष्ण सेवा है।
यह भजन सरल शब्दों में एक बहुत ही गहरी भावना को प्रकट करता है — वह भावना जो हर सच्चे भक्त के मन में वृंदावन और राधे-श्याम के लिए जन्म लेती है।