ओ माता जी कद म्हारी विनती सुनोगा
( तर्ज - ओ बाबा जी कद म्हारी विनती सुनोला )
ओ माता जी कद म्हारी विनती सुनोगा,
विनती सुनोगा मैया अर्जी जी सुनोगा,
सेवक पर कृपा कब करोगा,
थे हो मारी मैया प्यारी,
बालक तेरो बडो है दुखारी,
शिर पर कब हाथ धरोगा,
ओ माता जी कद म्हारी विनती सुनोगा ....
कानों में थारे कुंडल सोहे,
माला तेरी मनड़े को मोहे,
अंगना में पग कब धरोगा,
ओ माता जी कद म्हारी विनती सुनोगा ....
पाव पकड़ कर थाने मैं मनाऊं,
बोलो जी मैया क्इया विश्वास दिलाऊं,
लकी पर महर करोगा,
ओ माता जी कद म्हारी विनती सुनोगा ....
Lyrics - lucky Shukla
श्रेणी : दुर्गा भजन
यह भजन “ओ माता जी कद म्हारी विनती सुनोगा” माता रानी के प्रति गहरी भक्ति और विनम्र प्रार्थना को दर्शाता है। इस भजन में भक्त अपनी माँ दुर्गा से करुणामयी दृष्टि और कृपा की विनती करता है। हर पंक्ति में एक बालक की तरह माँ से अपने दुख दूर करने और सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देने की गुहार लगाई गई है। इसमें माँ की दिव्य सुंदरता, जैसे कानों में सोहते कुंडल और मन मोह लेने वाली माला का भी भावपूर्ण वर्णन है। भजन के शब्द सीधे हृदय को छूते हैं और मन में श्रद्धा जागृत करते हैं।
इस भजन को लकी शुक्ला जी ने लिखा है, और यह भजन दुर्गा भजन की श्रेणी में आता है। भजन का स्वर और भाव भक्त और माँ दुर्गा के बीच प्रेमपूर्ण संवाद जैसा प्रतीत होता है, जो भक्ति रस से ओतप्रोत है और श्रोताओं के मन में गहन भक्ति का संचार करता है।