कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे
कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे,
मेरा तो पूरा जीवन, भगवान के भरोसे,
चाहे तो सुख दे वो, चाहे तो दुःख दे वो,
अब सारे सुख दुःख, उनके ही भरोसे,
कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे,
मेरा तो पूरा जीवन, भगवान के भरोसे,
चाहे तो जीत दे वो, चाहे तो हार दे वो,
अब सारे परिणाम, उनके ही भरोसे,
कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे,
मेरा तो पूरा जीवन, भगवान के भरोसे,
चाहे तो तार दे वो, चाहे तो मार दे वो,
अब तो मेरा जीवन, उनके ही भरोसे,
कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे,
मेरा तो पूरा जीवन, भगवान के भरोसे,
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : राम भजन
भजन “कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे” एक अत्यंत हृदयस्पर्शी और आध्यात्मिक रचना है, जिसे जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) जी ने बड़ी ही सरल और गूढ़ भावना के साथ लिखा है। इस भजन में जीवन के प्रति पूर्ण समर्पण और ईश्वर पर अटूट विश्वास का भाव झलकता है। कवि ने बड़ी सहजता से यह संदेश दिया है कि मनुष्य का सारा जीवन प्रभु की इच्छा पर निर्भर है — चाहे सुख हो या दुःख, जीत हो या हार, हर स्थिति में हमें भगवान पर भरोसा रखना चाहिए।
हर पंक्ति में गहरी भक्ति और समर्पण की झंकार सुनाई देती है। जब कवि कहते हैं “मेरा तो पूरा जीवन भगवान के भरोसे”, तो यह न केवल शब्द हैं बल्कि ईश्वर के प्रति पूर्ण surrender का प्रतीक हैं। यह भजन हमें यह सिखाता है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति आए, हमें अपने आराध्य श्रीराम और श्रीकृष्ण पर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि वही हमारे जीवन के सच्चे सारथी हैं।
यह भजन भक्त के उस मनोभाव को प्रकट करता है जो संसार की उलझनों से मुक्त होकर केवल प्रभु की शरण में विश्वास रखता है। हर बार “कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे” का दोहराव इस भक्ति को और गहराई देता है, जिससे सुनने वाले के हृदय में श्रद्धा, शांति और आस्था का संचार होता है।