मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन
मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन,
तुझको पाने को कितने करू मैं जतन,
जब से दिल में मेरे, तुम बस गए - २
तुझको पाने की दिल में लगी हैं लगन ,
ओ मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन,
तुझको पाने को कितने करू मैं जतन,
कभी पूजा करू, कभी सेवा करू - २
कभी भजनों से तुझको रिझाऊ मोहन ,
ओ मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन,
तुझको पाने को कितने करू मैं जतन,
कभी मथुरा में ढूँढू, कभी गोकुल में ढुँढू, - २
कभी वृन्दावन में तुझको ढूँढू मोहन,
ओ मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन,
तुझको पाने को कितने करू मैं जतन,
कभी राधा से पूंछू, कभी रुक्मण से पूंछू - २
कभी मीरा से जाकर मैं पूंछू मोहन,
ओ मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन,
तुझको पाने को कितने करू मैं जतन,
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
यह भजन “मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन” एक अत्यंत भावपूर्ण और भक्तिपूर्ण रचना है, जिसे जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) जी ने लिखा है। इस भजन में भक्त का अपने आराध्य श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम, तड़प और समर्पण बड़े ही सुंदर शब्दों में झलकता है। हर पंक्ति में श्याम के प्रति वह प्रेम झलकता है जो एक भक्त अपने आराध्य के दर्शन पाने के लिए हर यत्न करने को तत्पर रहता है।
भजन में कवि ने बड़े भावपूर्ण ढंग से बताया है कि कैसे एक भक्त अपने “श्याम सलोने प्यारे मोहन” को पाने के लिए पूजा, सेवा और भजन जैसे हर माध्यम का सहारा लेता है। कभी वह मथुरा, कभी गोकुल, तो कभी वृंदावन में उन्हें खोजता है, और कभी राधा, रुक्मिणी या मीरा से उनके बारे में पूछता है। इस भजन की विशेषता यह है कि इसमें भक्ति की गहराई के साथ-साथ श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम की मधुरता भी महसूस होती है।
यह भजन न केवल शब्दों का संगम है, बल्कि उसमें भावों की वह गहराई है जो सीधे हृदय को स्पर्श करती है। “मेरे श्याम सलोने प्यारे मोहन” हर उस भक्त के हृदय की वाणी है जो अपने प्रिय भगवान को पाने की लालसा में डूबा हुआ है।