श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे, Shyam Mere Shyam Mere Bulana Mujhe

श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे



तर्ज - परदेशी परदेशी जाना नहीं

श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे,
तेरे दर पे हा तेरे दर पे,
ओ श्याम मेरे कान्हा, भूल न जाना,
मुझे याद रखना कही भूल न जाना,
श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे,
तेरे दर पे हा तेरे दर पे,

हर पल तेरी भक्ति में तो करता हूँ,
हर पल तेरा नाम में तो जपता हूँ,
तेरे बिना कोई ना हमारा हैं,
हारे हुये का श्याम तू ही सहारा है,
ओ श्याम मेरे कान्हा,भूल न जाना,
मुझे याद रखना कही भूल न जाना,
श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे,
तेरे दर पे हा तेरे दर पे,

कब तक मुझको ऐसे यू तड़पाओगे,
कब तक मुझको दर पे ना बुलाओगे,
कितनी और परीक्षा मेरी लोगे तुम,
कब तक मुझको दर्शन ना दोंगे तुम,
ओ श्याम मेरे कान्हा,भूल न जाना,
मुझे याद रखना कही भूल न जाना,
श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे,
तेरे दर पे हा तेरे दर पे,

राधा जी से अर्जी क्या लगवाऊ में,
बरसाना से चिट्ठी क्या भिजवाऊ में,
मेरी तो कान्हा तुम सुनते ही नहीं,
तुम ही बताओ कैसे तुम्हे मनाऊ में,
ओ श्याम मेरे कान्हा, भूल न जाना,
मुझे याद रखना कही भूल न जाना,
श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे,
तेरे दर पे हा तेरे दर पे,

मन की बाते मन में ये रह जाये ना,
दर्शन बिना प्राण ये छूट जाये ना,
ऐसी भी क्या श्याम मज़बूरी है,
मुझसे तेरी कैसी ये दूरी है,
ओ श्याम मेरे कान्हा, भूल न जाना,
मुझे याद रखना कही भूल न जाना,
श्याम मेरे श्याम मेरे बुलाना मुझे,
तेरे दर पे हा तेरे दर पे,

Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore



श्रेणी : कृष्ण भजन
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भजन “कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे” एक अत्यंत हृदयस्पर्शी और आध्यात्मिक रचना है, जिसे जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) जी ने बड़ी ही सरल और गूढ़ भावना के साथ लिखा है। इस भजन में जीवन के प्रति पूर्ण समर्पण और ईश्वर पर अटूट विश्वास का भाव झलकता है। कवि ने बड़ी सहजता से यह संदेश दिया है कि मनुष्य का सारा जीवन प्रभु की इच्छा पर निर्भर है — चाहे सुख हो या दुःख, जीत हो या हार, हर स्थिति में हमें भगवान पर भरोसा रखना चाहिए।

हर पंक्ति में गहरी भक्ति और समर्पण की झंकार सुनाई देती है। जब कवि कहते हैं “मेरा तो पूरा जीवन भगवान के भरोसे”, तो यह न केवल शब्द हैं बल्कि ईश्वर के प्रति पूर्ण surrender का प्रतीक हैं। यह भजन हमें यह सिखाता है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति आए, हमें अपने आराध्य श्रीराम और श्रीकृष्ण पर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि वही हमारे जीवन के सच्चे सारथी हैं।

यह भजन भक्त के उस मनोभाव को प्रकट करता है जो संसार की उलझनों से मुक्त होकर केवल प्रभु की शरण में विश्वास रखता है। हर बार “कभी राम के भरोसे, कभी श्याम के भरोसे” का दोहराव इस भक्ति को और गहराई देता है, जिससे सुनने वाले के हृदय में श्रद्धा, शांति और आस्था का संचार होता है।

Harshit Jain

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