रख ले मुझको भी कान्हा शरण में तेरी
रख ले मुझको भी कान्हा, शरण में तेरी,
रख ले मुझको भी कान्हा, शरण में तेरी,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा,
जैसा तू चाहे वैसा, करुँगी श्रृंगार मैं,
अपने हाथो से तुझे, करुँगी तैयार मैं,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा,
जैसा तू चाहे वैसा,भोजन बनाऊ,
अपने हाथो से कान्हा, तुझको खिलाऊ,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा,
सेवा में अपनी,लगा ले जरा,
जैसा तू चाहे वैसा, भजन सुनाऊ,
भजनों से कान्हा मैं, तुझको रिझाऊ,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा,
सेवा में अपनी लगा ले जरा,
सेवा में अपनी लगा ले जरा,
जैसा तू चाहे वैसा, फूल मंगाऊ,
फूलो से कान्हा मैं, तुझको सजाऊ,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा,
सेवा में अपनी लगा ले जरा,
सेवा में अपनी लगा ले जरा,
Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
यह कृष्ण भजन भक्त की पूर्ण समर्पण भावना को अत्यंत सरल और भावपूर्ण शब्दों में व्यक्त करता है। इस भजन के गीतकार जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) हैं, जिन्होंने इसमें एक सच्चे सेवक का हृदय उकेरा है। भजन का भाव यह है कि भक्त अपने जीवन के हर कार्य—श्रृंगार, भोजन, भजन और पुष्प सेवा—को श्रीकृष्ण की इच्छा अनुसार करना चाहता है। “रख ले मुझको भी कान्हा शरण में तेरी” पंक्ति भक्त की दीनता, विनय और पूर्ण शरणागति को दर्शाती है। इसमें यह भाव प्रकट होता है कि प्रभु की सेवा ही जीवन का परम उद्देश्य है और कृष्ण की प्रसन्नता ही भक्त की सबसे बड़ी सिद्धि है। यह भजन सुनने और गाने वाले के मन में भक्ति, प्रेम और आत्मिक शांति का संचार करता है।
राधे राधे 🙏🙏
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