मेरे मोहन मेरे मोहन, मेरे मोहन मैं तेरी जोगन
मेरे मोहन , मेरे मोहन, मेरे मोहन , मैं तेरी जोगन,
जोगन मैं बन गई, तेरी भक्ति में खो गई,
छोड़ के सारी दुनिया को, मैं तेरी हो गई रे कन्हैया,
मेरे मोहन मेरे मोहन, मेरे मोहन मैं तेरी जोगन,
मोहन तेरी याद सताए, कैसे मैं रोकू खुद को,
रातो में उठ उठकर मैं, समझाऊ अपने दिल को,
दिल मेरा खो गया, बस तेरा हो गया,
बात न माने ये तो मेरी, ये तेरा हो गया रे कन्हैया,,
मेरे मोहन मेरे मोहन, मेरे मोहन मैं तेरी जोगन,
निकली थी सोच के घर से, मोहन से मिल आऊंगी,
पल दो पल बात करूंगी, फिर वापस आ जाऊंगी,
पर तूने पकड़ी कलईया , ओ मेंरे साँवरिया,
छुड़ा सकी न मैं तो खुद को, मैं तेरी हो गई रे कन्हैया,
मेरे मोहन मेरे मोहन, मेरे मोहन मैं तेरी जोगन,
रंग लाया चोरी - चोरी , तुझसे ये मिलना मोहन,
ओरो की बात करू क्या, मैं बन गई तेरी जोगन,
जोगन मैं बन गई, बस तुझमे खो गई,
छोड़ के सारी दुनिया को, मैं तेरी हो गई रे कन्हैया,
मेरे मोहन मेरे मोहन, मेरे मोहन मैं तेरी जोगन,
Lyrics & Voice - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
मेरे मोहन मेरे मोहन मेरे मोहन मैं तेरी जोगन, #krishna #krishnabhajan #shyam #kanha #mohan #meera
यह कृष्ण भजन राधा–मीरा जैसी निष्काम प्रेम-भक्ति और पूर्ण समर्पण की भावना को अत्यंत मधुर रूप में प्रस्तुत करता है। इस भजन के गीतकार और स्वर दोनों ही जय प्रकाश वर्मा, इंदौर हैं। भजन में एक भक्तिन अपने मन, तन और जीवन को पूरी तरह श्रीकृष्ण को अर्पित कर देती है और स्वयं को उनकी जोगन मान लेती है। हर पंक्ति में मोहन की याद, विरह, प्रेम और आत्मसमर्पण का भाव झलकता है, जहाँ संसार छूट जाता है और केवल कन्हैया ही जीवन का आधार बन जाते हैं। यह भजन सुनने वाले के हृदय में भक्ति, प्रेम और कृष्ण-लीला की मधुर अनुभूति जगा देता है तथा मीरा-भाव की सच्ची झलक प्रस्तुत करता है।
राधे राधे, हर्षित सर,
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