सीता माता के हम लाल
सीता माता के हम लाल,
लवकुश है नाम हमारा,
लवकुश है नाम हमारा,
लवकुश है नाम हमारा,
सीता माता के हम लाल.....
हम वन में रहने वाले मुनि बाल्मिक ने पाले,
अरे हमें पिता का नहीं कछु ध्यान,
लवकुश है नाम हमारा....
जो हिम्मत हो तुम्हारी लड़ने की करो तैयारी,
अरे हमरा खाली न जाए कोई वार,
लवकुश है नाम हमारा.....
हम मारे और मरेंगे लड़ने से नहीं डरेंगे,
अरे चाहे सामने आ जाए काल,
लवकुश है नाम हमारा.....
हुए राम सोच बस ठाड़े फिर बाल्मिक वहां आए,
पल में काटे दिए सब जाल,
लवकुश है नाम हमारा.....
श्रेणी : राम भजन
हम हैं सीता माता के लाल, लवकुश नाम हमारा। वन में मुनि वाल्मीकि ने हमारा पालन-पोषण किया। पिता का ध्यान हमें नहीं, क्योंकि हमारे लिए हमारी माता ही सब कुछ हैं। वीरता हमारी पहचान है, और साहस हमारा गुण। जो हमारे सामने लड़ने की सोचता है, उसे हमारी शक्ति का आभास हो जाता है। हम ना कभी किसी वार को खाली जाने देते हैं, और ना ही कभी लड़ाई से पीछे हटते हैं।
हम अपनी माता के सम्मान के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार रहते हैं। चाहे सामने काल ही क्यों ना आ जाए, हम अपने आदर्शों पर अडिग रहते हैं। जब भगवान राम ने हमें पहचानने में संकोच किया, तब बाल्मीकि ने सत्य का उद्घाटन किया। हमारे लिए हमारा कर्तव्य सबसे बड़ा है, और यही हमारी अमिट पहचान है।