हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा
पद्मासन में ध्यान लगाए मौन है,
वीराने में तपता योगी कौन है,
मंद मंद मुस्कान लिए वह मौन है,
ध्यान मग्न बैठा, युगों से कौन है,
नाद न कोई तारा, डमरू कभी कभारा,
अधमुंदी आँखों से, सब देख रहा संसारा,
जो नाथों के नाथ कहाते, साधक बूटी बेल चढ़ाते,
जातक झूम झूम के गाते ओंकारा ~~
अर्ध चंद्र माथे पे साजे, वक्षस्थल कपाल बिराजे,
जटा चक्र से बहती निर्मल गंग धारा ~~
हर हर, शिव शम्भू , जय जय केदारा,
हर हर शिव शंभू जय जय कैलाशा ॥
निराकार साकार वही है, सृष्टि का आधार वही है,
गूंजे रोम-रोम में जिसका जयकारा,
रोग दु:ख सब दूर करे जो, साधक को भरपूर करे जो
सब द्वारों का द्वार एक है, हरिद्वारा ॥
हर हर शिव शंभू ,जय जय केदारा,
हर हर शिव शंभू जय जय कैलाशा
हिमगिरी के सर्वोच्च शिखर पर, सागर, निर्झर से अम्बर तक,
बैठा सबको देख रहा सिरजनहारा
कालों का महाकाल वही है, भक्तों का रखपाल वही है
तीनो लोक में जिसके नाम का विस्तारा ॥
हर हर, शिव शम्भू , जय जय केदारा
हर हर शिव शंभू जय जय कैलाशा
ॐ नमः शिवाय
गायक - हरे कृष्ण हरि
7678118308
श्रेणी : शिव भजन
भगवान शिव भोले शंकर का बहुत ही प्यारा भजन सुनिए Singer Hare krishna Hari
यह भजन भगवान शिव के अद्भुत रूप और महिमा का गान करता है। इसे "हरे कृष्ण हरि" ने गाया है और इसमें भगवान शिव की भक्ति, उनकी विशेषताओं, और उनके अद्वितीय गुणों का वर्णन किया गया है। भजन की शुरुआत पद्मासन में ध्यान लगाने वाले योगी की उपमा से होती है, जो मौन और ध्यान में मग्न हैं। भजन में शिव के निराकार और साकार रूप की गहराई से चर्चा की गई है। इसके माध्यम से यह बताया गया है कि भगवान शिव ही सृष्टि के आधार हैं, जो सबके दुखों का नाश करने वाले हैं।
यह भजन भगवान शिव की महिमा, उनके कालातीत रूप, और उनके भक्तों के प्रति स्नेह को व्यक्त करता है। विशेष रूप से उनके त्रिलोक वासी होने का उल्लेख किया गया है, साथ ही उनकी उपस्थिति हर स्थान और हर समय में महसूस की जाती है। भजन में "हर हर शिव शम्भू" का जाप भी किया गया है, जो भगवान शिव की आराधना का एक सामान्य तरीका है। इस भजन को सुनकर श्रद्धालु भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को और भी प्रगाढ़ कर सकते हैं।