मथुरा के कन्हैया गोकुल के नन्दकिशोर
मथुरा के कन्हैया, गोकुल के नंदकिशोर,
मुझे रख ले अपनी शरण में, मैं आया तेरी ओर,
रिश्ता ये तेरा मेरा, सदियों पुराना,
फिर से रिश्ता कान्हा, हमको निभाना,
मेरे इस मन को तो, भाए ना कोई ओर,
मुझे रख ले अपनी शरण में, मैं आया तेरी ओर,
मथुरा के कन्हैया, गोकुल के नंदकिशोर,
मुझे रख ले अपनी शरण में, मैं आया तेरी ओर,
पहले भी था मैं, तेरा दीवाना,
तेरा ये दर था, मेरा ठिकाना,
छोड़ के इस दर को तो, जाऊ ना कही ओर,
मुझे रख ले अपनी शरण में, मैं आया तेरी ओर,
मथुरा के कन्हैया, गोकुल के नंदकिशोर,
मुझे रख ले अपनी शरण में, मैं आया तेरी ओर,
बाते पुरानी कुछ, बची थी अधूरी,
बाते वो सारी अब, करनी है पूरी,
करने वही बाते, आया हूँ तेरी ओर,
मुझे रख ले अपनी शरण में, मैं आया तेरी ओर,
मथुरा के कन्हैया, गोकुल के नंदकिशोर,
मुझे रख ले अपनी शरण में, मैं आया तेरी ओर,
Lyr ics - Jay Prakash Verma, Indore
श्रेणी : कृष्ण भजन
मथुरा के कन्हैया गोकुल के नन्दकिशोर ।। #bankebihari #virdavan #radhe #krishna #radheradhe #radha
भजन "मथुरा के कन्हैया, गोकुल के नंदकिशोर" एक भावपूर्ण कृष्ण भजन है, जिसमें भक्त श्री कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करता है। इस भजन में भक्त कृष्ण से अपनी शरण में लेने की प्रार्थना करता है और अपने पुराने रिश्ते को फिर से स्थापित करने की इच्छा जताता है। वह मानता है कि उसका मन केवल कृष्ण के प्रति समर्पित है और किसी अन्य से उसे कोई प्रेम नहीं है।
भजन में यह भी दिखाया गया है कि भक्त ने पहले भी श्री कृष्ण से प्रेम किया है और उनका दर ही उसका स्थाई ठिकाना था। अब वह अपने पुराने संबंधों को फिर से जीवित करना चाहता है और अपनी अधूरी बातों को पूरा करना चाहता है। भक्त यह स्वीकार करता है कि वह कृष्ण के बिना कहीं और नहीं जा सकता, क्योंकि कृष्ण ही उसकी आत्मा के वास्तविक स्वामी हैं।
भजन में एक सुंदर भावना है कि भक्त भगवान कृष्ण के पास लौटना चाहता है, और उनके प्रेम में खुद को पूरी तरह समर्पित करने के लिए वह कृष्ण से शरण में जाने का आग्रह करता है। जय प्रकाश वर्मा द्वारा रचित यह भजन कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और विश्वास का आदान-प्रदान करता है।