श्री राधा रानी जी आरती, shri radha rani ji
श्री राधा रानी आरती
श्री जै जै हो श्यामा जू मैं शरण तिहारी,
सेवा कुंज वारी, श्री हरिवंश दुलारी,
श्री लोचन आरती जाऊँ बलिहारी।
पाट पीतांबर ओढ नील सारी,
सीस के सिंदूर जाऊँ बलिहारी।
पाट पीतांबर ओढ नील सारी,
माँग के सिंदूर जाऊँ बलिहारी।।
रतन सिंहासन बैठी श्री राधे,
आरती करें हम पिय संग जोरी।
फूल सिंहासन बैठी श्री राधे,
आरती करें हम सब सखी जोरी।।
झलमल झलमल मानिक मोती,
अब लखि मुनि मोहे पिय संग जोरी।
झलमल झलमल मानिक मोती,
अब लखि मुनि मोहे राधे संग जोरी।।
श्री राधे पद पंकज भगत की आशा,
दास मनोहर करत भरोसा।
श्री राधे पद पंकज भगत की आशा,
दास मनोहर करत भरोसा।
श्री राधा वल्लभ चरणन जाऊ बलिहारी
जै जै हो राधे जू मैं शरण तिहारी,
लोचन आरती जाऊँ बलिहारी।
श्री राधे श्याम भजन मंडली
संपर्क सूत्र - 81948-75323
श्रेणी : कृष्ण भजन
"Shri Radha Rani Aarti | सेवा कुंज वृंदावन से LIVE Darshan | Shriji की दिव्य आरती"
यह जो श्री राधा रानी जी की आरती है – "श्री जै जै हो श्यामा जू मैं शरण तिहारी" – यह एक अत्यंत दिव्य और भावनात्मक भक्ति गीत है, जो सेवा कुंज वृंदावन की प्रेमपूर्ण लीलाओं और श्री राधा रानी की महिमा को समर्पित है। इस आरती में राधा रानी के स्वरूप, वस्त्र, आभूषण, और उनके आराध्य श्रीकृष्ण के संग उनके दिव्य स्वरूप का अत्यंत सुंदर वर्णन किया गया है।
"श्री जै जै हो श्यामा जू" से आरंभ होकर यह आरती भक्त को राधा रानी के सेवा कुंज तक पहुँचा देती है, जहाँ भक्त अपनी भावनाओं को अर्पित कर आरती करता है। “पाट पीतांबर ओढ़ नील साड़ी, माँग के सिंदूर जाऊँ बलिहारी” जैसी पंक्तियाँ राधारानी की अलौकिक शोभा का जीवंत चित्रण करती हैं, जिससे हर भक्त भावविभोर हो उठता है।
आरती में यह भी दर्शाया गया है कि राधारानी केवल सौंदर्य की देवी नहीं, बल्कि भगवत प्रेम और भक्ति की परम सत्ता हैं। “रतन सिंहासन बैठी श्री राधे, आरती करें हम पिय संग जोरी” से राधा-कृष्ण की संगति का माधुर्य उजागर होता है, और "झलमल झलमल मानिक मोती" जैसे शब्द दिव्यता के आभास को और भी गहन करते हैं।
आरती का समापन “श्री राधे पद पंकज भगत की आशा” और “दास मनोहर करत भरोसा” जैसे शब्दों से होता है, जो एक भक्त की पूर्ण समर्पण भावना और विश्वास को दर्शाते हैं। यह केवल एक गीत नहीं, अपितु राधा भक्ति की जीवंत अभिव्यक्ति है, जिसे श्री राधे श्याम भजन मंडली द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
यह आरती हर उस भक्त के लिए है जो राधारानी के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करना चाहता है। यह रचना वृंदावन की पवित्र भूमि से निकली हुई वह मधुर ध्वनि है, जो हर श्रोता को राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन कर देती है।