शिव हैं सुंदर । शिव हैं प्यारा । Shiv Hai Sundar Shiv Hai Pyara Shiv Shankar Ka Roop Nirala

शिव हैं सुंदर - शिव हैं प्यारा



शिव हैं सुन्दर, शिव हैं प्यारा,
शिव शंकर का, रूप निराला,
शिव के मस्तक पर हैं चंदा,
शिव की जटा से बहती गंगा,

सौराष्ट्र में सोमनाथ हैं शिव जी,
श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन शिव जी,
उज्जैन में महाकाल हैं शिव जी,
ओम्कारेश्वर में ओमकार हैं शिव जी,

परली में वैधनाथ हैं शिव जी,
डाकिनी में भीमशंकर हैं शिव जी,
सेतुबंध में रामेश्वर हैं शिव जी,
दारूकावन में नागेश्वर हैं शिव जी,

वाराणसी में विश्वनाथ हैं शिव जी,
गौतमी तट पर त्रिंबकेश्वर हैं शिव जी,
हिमालय में केदार हैं शिव जी,
शिवालय में घृष्णेश्वर हैं शिव जी

देवो में महादेव हैं शिव जी,
कालो के महाकाल हैं शिव जी,
तीनो लोक के स्वामी हैं शिव जी,
बड़े ही अंतर्यामी हैं शिव जी,

शिव शंकर हैं, भोले भाले,
भक्तों के जीवन रखवाले,
बड़े बड़े संकट भक्तों के,
शिव शंकर ने पल में टाले,

शिव की शरण में जो भी आवे,
खाली हाथ ना वापस जावे,
सबकी झोली शिव हैं भरते,
सबकी इच्छा पूरी करते,

Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore



श्रेणी : शिव भजन



शिव हैं सुंदर । शिव हैं प्यारा । शिव शंकर का रूप निराला । शिव स्तुति । शिव भजन । #shiv #shivbhajan

शिव हैं सुंदर – शिव हैं प्यारा" यह भजन जय प्रकाश वर्मा (इंदौर) की रचना है, जो शिव भक्ति की एक अनुपम अभिव्यक्ति है। यह भजन शिव के स्वरूप, उनके दिव्य रूप, और उनके 12 ज्योतिर्लिंगों की महिमा को अत्यंत सरल, सुंदर और प्रभावशाली शब्दों में प्रस्तुत करता है।

भजन की शुरुआत शिव के दिव्य सौंदर्य और आकर्षक रूप से होती है — जहाँ उनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है और जटाओं से माँ गंगा की धारा बह रही है। यह दर्शाता है कि शिव केवल भय के देव नहीं, बल्कि सुंदरता, शांति और सौम्यता के प्रतीक भी हैं।

इसके बाद भजन में बारह ज्योतिर्लिंगों का वर्णन क्रमवार किया गया है, जैसे — सोमनाथ, महाकाल, ओंकारेश्वर, केदारनाथ आदि। यह सूची न केवल भक्तों को भारत के प्रमुख शिव धामों की यात्रा का स्मरण कराती है, बल्कि यह भी बताती है कि शिव हर दिशा में, हर स्थान पर उपस्थित हैं।

भजन के अगले चरण में शिव को महादेव, महाकाल और त्रिलोक के स्वामी कहकर उनके विराट रूप को नमन किया गया है। वह अंतर्यामी हैं — जो भक्तों के मन की बात बिना कहे ही जान लेते हैं। शिव केवल देवता नहीं, वे “भोलेनाथ” हैं — सरल, सच्चे और करुणामयी।

भजन की अंतिम पंक्तियाँ शिव की कृपा और उनकी शरणागत भक्तों के प्रति करुणा को दर्शाती हैं। शिव की भक्ति से कोई खाली नहीं लौटता — यही भाव इस भजन का सार है। चाहे कोई कितना भी दुखी क्यों न हो, अगर वह शिव की शरण में जाता है, तो शिव उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं।

यह भजन शिव के सौंदर्य, शक्ति, सर्वव्यापकता और भक्तों पर उनकी असीम कृपा का गीतात्मक वंदन है। इसे पढ़ने और सुनने से मन स्वतः ही भक्ति से भर उठता है। सावन जैसे पावन अवसरों पर या किसी भी दिन जब मन शिव के सान्निध्य में जाना चाहे, यह भजन आत्मा को स्पर्श करता है।

Harshit Jain

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1 Comments

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  1. Harshit Sir,
    Thanks a Lot, for your support in my religious journey.
    Radhe Radhe !!

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